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उपकार दिवस पर Pandit Bal Krishan Sharma को अर्पित किए श्रद्धासुमन
Last Updated on January 19, 2020 by Sintu Kumar
कांगड़ा। समाजसेवी पंडित बाल कृष्ण शर्मा का 76 वां जन्मदिवस इस मर्तबा भी उपकार दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर श्री बालाजी अस्पताल एंड कॉलेज ऑफ नर्सिंग कांगड़ा (Shree Balaji Hospital and College of Nursing Kangra)परिसर में सुबह 10 बजे से 2 बजे तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। कार्यक्रम में सबसे पहले साईं भजन हुआ उसके बाद ज्योति प्रज्वलित कर श्री बालाजी अस्पताल एंड कॉलेज ऑफ नर्सिंग कांगड़ाके सीएमडी डॉ. राजेश शर्मा उनकी माता उर्मिला शर्मा पत्नी कोमल शर्मा ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
कार्यक्रम में पूर्व मंत्री मेजर विजय सिंह मनकोटिया के अलावा समाजसेवी मुल्ख राज, अश्विंद्र शुक्ला, रजत चौधरी, रत्न चंद, सुभाष, ओम प्रकाश, धर्मपाल सरीन, प्रीतम चंद गुलेरिया, गुरदेव सिंह, मदन लाल, एमआर महाजन व रविंद्र चौधरी व अन्य शामिल हुए। सांस्कृतिक कार्यक्रम में संजय राणा ने प्रस्तुति देकर समा बांधा। बालाजी नर्सिंग कॉलेज, कांगड़ा डांसर अकादमी, सरकारी कॉलेज, के छात्रों ने रंगारंग प्रस्तुतियां दी। इस दौरान एमएससी टापर्स शिवानी सिंह, हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के जमा दो के टॉपर्स शिवम भाटिया को पुरस्कृत किया। इसके अलावा रक्तदान करने वालों को भी पुरस्कृत किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद धाम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर श्री बालाजी अस्पताल एंड कॉलेज ऑफ नर्सिंग कांगड़ा के सीएमडी डॉ. राजेश शर्मा ने कहा है कि पंडित बाल कृष्ण शर्मा ने जीवन भर समाजसेवा की, हम उन्हीं के बताए रास्ते पर चलते हुए उनके जन्मदिवस को उपकार दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंडित बाल कृष्ण हमेशा कहा करते थे कि हमे हमेशा इस बात का प्रयास करना चाहिए कि जरूरतमंद की जितनी हो सके सेवा की जाए। पंडित बालकृष्ण शर्मा जी का जन्म जिला ऊना के लौहारा गांव में पंडित जय राम शर्मा के यहां 22 जनवरी 1944 को हुआ। सच मायनों में यह गांव उसी दिन गौरवान्वित हुआ क्योंकि आगे चलकर प्रसिद्धि की पराकाष्ठा इसी बालक के हिस्से में आई।
कालांतर में उनके पिता लौहारा गांव से कांगड़ा आए और यहां उन्होंने छोटे स्केल पर बर्तनों का व्यपार शुरू किया। यहीं के जीएवी स्कूल में पंडित जी की शिक्षा हुई और मैट्रिक के बाद उन्होंने पिता जी और भाईयों के साथ मिलकर कारोबार संभाल लिया। विभिन्न प्रतिभाओं के धनी शर्मा जी को अपनी पहचान बनाने में देर नहीं लगी। हालांकि शुरुआत भले ही जीरो ग्राउंड से हुई थी, पर देखते ही देखते पूरे कारोबार का परिदृश्य ही बदल गया। सन 1972 में वे निर्विरोध नगर परिषद के सदस्य चुने गए।
सफर जारी रहा 1975 से 2007 तक पंडित बाल कृष्ण शर्मा नगर परिषद के चार बार प्रधान व तीन बार उप प्रधान चुने गए। रोचक यह कि वे कभी कोई चुनाव नहीं हारे। ऐसा लगा जैसे उनका व्यक्तित्व सिर्फ जीत के लिए ही बना था। वे गुप्त गंगा धाम के प्रधान भी बने। सन 1984 से 2007 तक वे हॉकी, क्रिकेटऔर बालीवॉल के जिला प्रधान रहे तथा जूडो-कराटे के उप प्रधान भी रहे। पूरे 22 वर्ष तक बतौर दशहरा कमेटी के प्रधान, कांगड़ा में रामलीला का सफलता पूर्वक संचालन उन्हीं की देखरेख में हुआ। अपने प्रमुख कार्यों में उन्होंने समाजसेवा को प्रधानता दी। दीन दुखियों की मदद, गरीब विधवाओं को पेंशन और गरीब कन्याओं के विवाह के लिए आर्थिक मदद देकर उन्होंने सभी का दिल जीत लिया। 9 सितंबर, 2007 को यह महान विभूति हमारे बीच नहीं रही, पर जो आदर्श पंडित बालकृष्ण शर्मा ने स्थापित किए वे मील का पत्थर साबित हुए हैं।