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शिमला। प्रदेश की महिला कांग्रेस में बगावत का सुर देखने को मिल रहा है। यहां शिमला ग्रामीण महिला कांग्रेस की अध्यक्ष को लेकर संगठन के भीतर रोष फिर पनपने लगा है। महिला जिला कार्यकारिणी की सूची को पार्टी की मंजूरी मिलते ही संगठन के भीतर भी बगावत के सुर उठने लगे हैं। अभी संगठन के भीतर ही यह चिंगारी सुलग रही है और यदि समय रहते इस पर पार्टी ने गौर न किया तो आने वाले दिनों में बगावत खुलकर सामने आ सकती है। दरअसल रोष इस बात को लेकर है कि जो जिलाध्यक्ष नगर निगम चुनाव में खुद बुरी तरह पराजित हुई हो, उसे संगठन की कमान नहीं दी जानी चाहिए।
हालांकि जब शिमला जिला महिला अध्यक्ष पद पर शशि बहल की तैनाती की गई थी, उस वक्त भी काफी नाराजगी जाहिर हुई थी। क्योंकि आरोप था कि जिसे संगठन में काम करने का कोई अनुभव नहीं है, उसे संगठन की ऐसी अहम जिम्मेदारी नहीं मिलनी चाहिए, लेकिन पार्टी ने फिर भी इन्हें बनाए रखा। पिछले माह हुए नगर निगम चुनाव में शशि बहल पार्षद के चुनाव में उतरी और बुरी तरह हार गई।
इस वार्ड में कांग्रेस के अन्य नेताओं ने ही उन्हें मात दे दी। इससे उनकी संगठन का काबिलियत भी उजागर हुई। शशि बहल की संगठन में नाकामी को लेकर फिर संगठन के भीतर उन्हें बदलने की बात होने लगी, लेकिन इसके बाद भी पार्टी ने उन्हें बनाए रखा और कल ही उनकी टीम का भी गठन कर दिया गया। ऐसे में अब संगठन के भीतर सवाल उठने लगे हैं कि जो अध्यक्ष खुद वार्ड स्तर का चुनाव नहीं जीत सकती, उसे संगठन की जिलाध्यक्ष जैसे अहम पद की जिम्मेदारी कैसे सौंपी जा सकती है।
महिला कांग्रेस में शशि बहल को लेकर अब आवाज इसलिए भी मुखर हो रही है कि विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। इन हालात में पार्टी में जुड़ी वरिष्ठ महिलाएं इनके नेतृत्व में कार्य करेंगी, इसे लेकर संशय है। उनका तर्क है कि जो अध्यक्ष खुद चुनाव हार जाए, वह संगठन को कैसे चला सकता है। कहां तो उन्हें दूसरे वार्डों में भी काम करने के लिए निकलना चाहिए था, लेकिन वह खुद बुरी तरह से हारी हैं और ऐसे में पार्टी को इस मामले पर फिर से विचार करना चाहिए और नए और अनुभवी महिला नेता को इसकी जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए।
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