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वी कुमार/मंडी। खतरों और रोमांच से भरे लेह-मनाली-शिमला रूट पर हर कोई सफर करने को ललायित रहता है, लेकिन इस सफर का रोमांच तब और भी बढ़ जाता है जब इसे किसी खास मकसद से किया जा रहा हो। कुछ ऐसे ही खास मकसद से इस रोमांचकारी और जोखिम भरे सफर पर निकले हैं 15 देशों के 45 लोग। खास बात यह है कि यह सफर ऑटो रिक्शा (auto rickshaw) में किया जा रहा है, जिसे अमूमन शहर का वाहन कहा जाता है। द एडवेंचरिस्ट और कूलअर्थ संस्था ‘द रिक्शा हिमालया रन’ के नाम से यह सारा आयोजन करवा रही है। प्रत्येक देश से आए तीन लोगों के दल से दो हजार पाउंड की राशि पर्यावरण के लिए और इतनी ही राशि उनके अपने देश के किसी एक स्कूल के लिए ली गई है। इस राशि के बदले में इन्हें संस्था की तरफ से ऑटो दिए गए हैं जिन पर इन्होंने अपने देश से संबंधित रंग करवाए हैं।
बीते शुक्रवार को यह सभी लोग लेह से अपने-अपने ऑटो में सवार होकर शिमला के लिए निकले हैं और शुक्रवार शाम तक ये सभी ने शिमला पहुंच जाएंगे। सभी ने लेह से शिमला के लिए अलग-अगल रूट तय किए हैं। न्यूजीलैंड के लोगों का दल मंडी पहुंचा तो यहां पत्रकारों के साथ अपने अनुभवों (Experiences) को साझा किया। दल के प्रमुख जॉन स्टोक्स ने बताया कि पहाड़ी दर्रों और बर्फ औऱ जोखिम भरी सड़कों को पार करके वह मंडी पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि रिक्शा रन दो खास मकसदों के लिए की जा रही है। पर्यावरण संरक्षण और युगांडा के स्कूल के लिए चैरिटी जुटाना इसका मुख्य मकसद है।
इसी दल में शामिल न्यूजीलैंड निवासी नाईजल एंड्रयूस ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि यह यात्रा उनकी जिंदगी की सबसे रोमांचकारी यात्रा है जिसे वह कभी नहीं भुला पाएंगे। एंड्रयूस ने बताया कि यात्रा (journey) काफी कठिन थी और ऑटो में इसे पूरा करना एक नई बात थी क्योंकि शहरों का वाहन माने जाने वाले ऑटो को कठीन भौगोलिक परिस्थितियों में इस्तेमाल किया गया है। इस दल की इकलौती महिला सदस्य निक्की मकॉय ने बताया कि दो पुरूषों के साथ सफर करना उनके लिए नया अनुभव था और उन्होंने यात्रा के दौरान खुद को काफी सहज महसूस किया। निक्की के अनुसार यह एक चैलेंज था जिसे टीम वर्क (team work) के रूप में पूरा करना था और इस कार्य को पूरा करने में दोनों पुरूषों का उन्हें काफी अच्छा सहयोग मिला है।
यह तीनों न्यूजीलैंड के रहने वाले हैं, लेकिन आपस में इनका कोई रिश्ता नहीं। जॉन स्टोक्स न्यूजीलैंड में फूड एक्सपोर्टर का काम करते हैं जबकि नाईजल एंड्रयूस पैट्रोलियम के क्षेत्र में काम करते हैं और निक्की मकॉय गार्डनर हैं। खतरों और रोमांच से भरा इनका यह सफर अब समापन की ओर है और इसके बाद सभी वापस अपने वतन लौट जाएंगे, लेकिन लेह से शिमला तक ऑटो में सफर करके इन्होंने एक नया इतिहास रचा है और इस रोमांचक सफर में एक अलग गाथा लिखी है।
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