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#Solan… तो इस कारण नगर निगम में जाने का विरोध कर रहे 8 पंचायत के लोग
दयाराम कश्यप/सोलन। नगर निगम में ग्रामीण क्षेत्र शामिल करने का विरोध जारी है। ग्रामीण का दो टूक कहना है कि ”मरना ही है तो संघर्ष करके मरेंगे। ग्रामीणों (Villagers) का कहना है कि नगर निगम (Municipal Corporation) में ना जाने को लेकर उनके के पास कई कारण हैं, जिन क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल किया जा रहा है, वह क्षेत्र कृषि पर आधारित क्षेत्र हैं। आज भी लगभग 90 फीसदी जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। आज भी इन क्षेत्रों में आबादी का घनत्व बहुत कम है, क्षेत्रों का शहरीकरण नहीं हुआ है। अगर उन क्षेत्रों को शहर में शामिल करवाया जाता है तो पंचायती राज से मिलने वाली सभी मूलभूत सुविधाएं समाप्त हो जाएंगी। खेती करना मुश्किल हो जाएगा। मनरेगा (MGNREGA) जैसे कानून रोजगार देने के साथ-साथ विभिन्न तरह के विकास कार्य को पूरा करते हैं उस पर भी रोक लग जाएगी। ऐसी अनेकों योजनाएं हैं, जो ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य करती हैं, उनसे वंचित रहना पड़ेगा।
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बता दें कि जब से सोलन को नगर निगम बनाए जाने का प्रस्ताव मंत्रिमंडल में रखा गया है, तब से सोलन (Solan) शहर के साथ लगती 8 पंचायतों को नगर निगम में शामिल किए जाने की चर्चा चल रही है। इसको लेकर 8 पंचायत के प्रतिनिधि और ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें नगर निगम बनने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन प्रदेश सरकार के इस फैसले से आठ पंचायतों के करीब 20000 लोगों के हितों पर कुठाराघात होगा। ग्रामीणों ने नगर निगम में ग्रामीण क्षेत्र को शामिल ना किए जाने के लिए ग्रामीण संघर्ष समिति का भी गठन किया है। ग्रामीण संघर्ष समिति लगातार इसका विरोध कर रही है कि सरकार नगर निगम में ग्रामीण क्षेत्र को शामिल ना करे। इसी के चलते सोलन मुख्यालय पर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों द्वारा अतिरिक्त उपायुक्त सोलन को ज्ञापन (Memorandum) सौंपे गए, जिसमे उन्होंने नगर निगम में शामिल ना करने के लिए आपत्तियां दर्ज करवाई हैं।
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ग्रामीण संघर्ष समिति के अध्यक्ष किरण किशोर और प्रवक्ता नीरज भारद्वाज ने कहा कि अगर नगर निगम बनाने को लेकर 40000 की जनसंख्या चाहिए तो, उसकी नोटिफिकेशन (Notification) जारी कर 8 पंचायत को शामिल करने को लेकर की गई नोटिफिकेशन को कैंसल कर दें। उनका कहना है कि अगर सरकार ग्रामीणों की नहीं सुनेगी तो संघर्ष जारी रहेगा। चाहे इसके लिए जेल जाना पड़े, भूख हड़ताल करनी पड़े या फिर धरना देने पड़े। उन्होंने कहा कि अगर मरना ही है तो संघर्ष करके मरेंगे। उनका कहना है कि अगर इन पंचायतों के किसी भी गांव को नगर निगम में शामिल किया जाएगा तो ग्रामीण संघर्ष समिति जन आंदोलन करेगी। अतिरिक्त उपायुक्त अनुराग चंद्र शर्मा ने कहा कि आज 8 पंचायतों के ग्रामीणों ने नगर निगम में ना मिलने को लेकर आपत्तियां दी हैं, जिसको सरकार तक पहुंचा दिया जाएगा।