कुत्ते की अस्थियां गंगा में विसर्जित करने के लिए New Zealand से भारत आया शख्स

कुत्ते की अस्थियां गंगा में विसर्जित करने के लिए New Zealand से भारत आया शख्स

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बिहार। रश्त्र्पिता महात्मा गांधी ने कहा था कि किसी सभ्य मानव समाज की पहचान इस बात से होती है कि लोग वहां पशुओं के साथ कैसा बर्ताव करते हैं। बिहार स्थित पूर्णिया के मधुबनी मोहल्ला निवासी प्रमोद चौहान ने इस मानव व्यवहार की अवधारणा को ऊंचा उठाते हुए एक अनोखी मिसाल पेश की है। प्रमोद चौहान के पशुप्रेम की यह कहानी चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल पिछले 40 साल से न्यूज़ीलैंड में रह रहे प्रमोद कुमार अपने कुत्ते लाइकन की अस्थियां गंगा में विसर्जित करने के लिए भारत आए थे।

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लाइकन की मौत न्यूज़ीलैंड में ही हुई थी और कुमार ने वहां हिंदू रीति-रिवाज़ों के अनुसार उसका अंतिम संस्कार किया और फिर उसकी अस्थियां लेकर भारत आए थे। यही नहीं प्रमोद चौहान ने गया जाकर अपने प्यारे साथी के लिए तर्पण भी किया। वे तर्पण के 30 दिनों के बाद भंडारा भी करने जा रहे हैं। प्रमोद बताते हैं कि लाइकन मेरे परिवार का एक अभिन्न सदस्य था। इसलिए लाइकन के गुजरने के बाद वहां हिन्दू रीति से उसका दाह संस्कार किया और उसकी अस्थियां लेकर भारत आकर पटना के मोक्षदायिनी गंगा में प्रवाहित की। वहीं स्थानीय लोगों का मानना है कि इन्होंने पशुप्रेम का एक खास उदाहरण पेश किया है। उनके पारिवारिक मित्र इसे पशुप्रेम का अद्भुत प्रसंग बता रहे हैं। वहीं इसे मानवता के लिए प्रेरक भी बताया जा रहा है।


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