- Advertisement -
शिमला। हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम शांता कुमार (Shanta Kumar) के ड्रीम प्रोजेक्ट विवेकानंद मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट (High Court) ने एक लाख रुपये की कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया है। प्रार्थी भुवनेश चंद सूद ने शांता कुमार द्वारा विवेकानंद मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट (Vivekanand Medical Research Trust) को स्थापित करने को चुनौती दी थी। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि जनहित याचिका एक ऐसा हथियार है, जिसे बड़ी देखभाल और चौकसी के साथ प्रयोग किया जाता है। अदालत को यह देखना चाहिए कि जनहित याचिका के सुंदर घूंघट के पीछे कोई बदसूरत निजी द्वेष, निहित स्वार्थ तो नहीं छिपा है। जनहित याचिका का इस्तेमाल सामाजिक उद्धार के लिए एक प्रभावी हथियार है।
प्रार्थी द्वारा याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने पाया कि प्रार्थी ने तथ्यहीन याचिका दायर की है। अदालत (Court) ने अपने निर्णय में कहा कि अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए साफ मन, स्वच्छ हृदय और स्वच्छ उद्देश्य का होना बहुत जरूरी है। प्रार्थी ने याचिका में आरोप लगाया था कि शांता कुमार जब प्रदेश के सीएम थे तो उन्होंने अपनी शक्तियों का दुरुप्रयोग कर इस प्रोजेक्ट के लिए चाय बागान वाली भूमि को बंजर कदीम करवा दिया। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि वर्ष 1992 में राज्य सरकार ने कांगड़ा (Kangra) जिला के गांव होल्टा में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाए जाने का निर्णय लिया था, जिसके लिए सारी औपचारिकताएं कानूनी तरीके से पूरी की गई हैं। अदालत ने मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि शांता कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट विवेकानंद मेडिकल रिसर्च ट्रस्ट के लिए सारी औपचारिकताएं कानूनी तरीके से पूरी की गई हैं। प्रार्थी ने बेबुनियादी याचिका दायर कर अदालत का समय बर्बाद किया है।
- Advertisement -