ताजमहल के 22 कमरे खुलवाने की याचिका खारिज, कोर्ट ने लगाई फटकार

हाईकोर्ट ने दी इतिहास पढ़ने की सलाह

ताजमहल के 22 कमरे खुलवाने की याचिका खारिज, कोर्ट ने लगाई फटकार

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ताजमहल के 22 कमरों को खुलवाने की याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ खंडपीठ ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में कड़ी फटकार भी लगाई है। न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच में यह सुनवाई की है।


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इस दौरान जज डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। उन्होंने जनहित याचिका की व्यवस्था का दुरुपयोग ना करने की बात कही। यह भी कहा कि कल आप आएंगे और कहेंगे कि हमें माननीय जज के चेंबर में जाने की इजाजत चाहिए।

न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने याचिका पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अदालत भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा आदेश पारित नहीं कर सकती है।

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील रुद्र विक्रम सिंह को भी बिना कानूनी प्रावधानों के भी याचिका दायर करने के लिए एक आकस्मिक तरीके से याचिका दायर करने के लिए खींच लिया। बेंच ने उससे ये भी कहा कि याचिकाकर्ता ये नहीं बता सकता कि उसके किस कानूनी या संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन किया गया है। दलीलों के बाद जब पीठ याचिका खारिज करने जा रही थी तो याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से याचिका वापस लेने और बेहतर कानूनी शोध के साथ एक और नई याचिका दायर करने की अनुमति देने का अनुरोध किया, लेकिन पीठ ने उनके अनुरोध को स्वीकार नहीं किया और याचिका खारिज कर दी।

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ताजमहल (Taj Mahal) के संबंध में दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने याचिका को पोषणीय ना मानते हुए खारिज किया है। याचिकाकर्ता से हाई कोर्ट ने कहा कि आप मानते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनाया है? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? जैसे कि इसे किसने बनवाया था या ताजमहल की उम्र क्या है? आपको जिस बारे में पता नहीं है, उस पर रिसर्च करिए। जाइए एमए कीजिए, पीएचडी कीजिए, अगर आपको कोई संस्थान रिसर्च करने से रोक रहा है तो फिर हमारे पास आइए। हाई कोर्ट ने कहा कि आपने ताजमहल के 22 कमरों की जानकारी किससे मांगी?

इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हमने अथॉरिटी से जानकारी मांगी थी। तब हाई कोर्ट ने कहा कि अगर उन्होंने कहा है कि सुरक्षा कारणों से कमरे बंद हैं तो यह जानकारी है। अगर आप इससे संतुष्ट नहीं हैं तो इसे चुनौती दें।

याचिकाकर्ता ने कहा कि हमें उन कमरों में जाने की अनुमति दीजिए। इस पर कोर्ट ने तंज कसा कि कल को आप कहेंगे हमें माननीय न्यायाधीशों के चेंबर में जाना है। पीआईएल सिस्टम का मजाक मत बनाइए। याचिकाकर्ता ने कहा कि मुझे थोड़ा वक्त दें, मैं इस पर कुछ फैसले दिखाना चाहता हूं। इस पर अदालत ने कहा कि यह याचिका मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है और अब आप ये सब कर रहे हैं। इस मुद्दे पर आप मेरे घर आइए और हम इस पर बहस करेंगे, लेकिन अदालत में नहीं।

–आईएएनएस

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Tags: | lucknow | national news | Allahabad High Court | Taj Mahal
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