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अभी से गर्म होने लगा देश का यह शहर, 51 डिग्री के पार पहुंचा जाता है टेंपरेचर, यहां जानें इस सिटी के बारे में
Last Updated on March 22, 2022 by sintu kumar
मार्च में ही गर्मी (Heat) ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। तेज धूप में निकलना अब लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया है। इसी बीच राजस्थान (Rajasthan) के शहर फलोदी में तापमान सुबह के साथ बढ़ने लगता है और दोपहर के बाद बढ़ते-बढ़ते ये 40 डिग्री सेल्सियस या इससे ऊपर पहुंच जाता है। इन दिनों वैसे राजस्थान कई शहर धधकने लगे हैं। फलोदी (Phalodi) इन शहरों में सबसे गर्म होने लगता है। कहा जाता है कि ये शहर मई-जून के समय देश के सबसे गरम इलाके में बदल जाता है। फलोदी में गर्मी में पारा 51 तक चला जाता है।
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2016 में आया था सुर्खियों में
जोधपुर (Jodhpur) जिले का ये छोटा सा शहर यकायक साल 2016 में सुर्खियों में आया, जब यहां का टेंपरेचर 51 डिग्री सेल्सियस तक मापा गया। इसके इतने गर्म होने के पीछे वजह ये है कि ये शहर थार रेगिस्तान (Thar Desert) से सटा हुआ है। ये वही थार मरुस्थल है, जिसका 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा भारत (India) में और बाकी हिस्सा पाकिस्तान में है। गर्मियों में बेहद गर्म और सर्दियों में काफी ठंडा रहने वाला फलोदी शहर बड़े शहरों से घिरा है, जैसे बीकानेर, जैसलमेर और नागौर।
प्राचीन शहर है फलोदी
माना जाता है कि ये शहर काफी प्राचीन है। साल 1230 में यहां का प्रसिद्ध कल्याण रावजी मंदिर बना था। वैसे शहर का निर्माण 14वीं सदी के अंत से माना जाता है, जब राजा हमीर सिंह ने यहां काफी सारे विकास कार्य करवाए। जैसे इमारतें, दुकानें और बावड़ियां बनवाना। यहां पर साल 1847 में बना जैन तीर्थ पारसनाथ मंदिर है, जहां उस दौर में भी बेल्जियम ग्लास का इस्तेमाल हुआ था।
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रेगिस्तानों में तापमान काफी ज्यादा बढ़ता है
हालांकि सबसे गर्म क्षेत्रों की बात करें तो दुनियाभर के मरुस्थलों के तापमान सुनकर किसी के भी पसीने छूट जाएं। जैसे कैलीफोर्निया की डेथ वैली का तापमान 56.7 भी पहुंच चुका है। ये साल 1913 की बात है। इतने तापमान में इंसानों या जीव.जंतुओं का रहना भी असंभव है। इसके बाद लीबिया के अजिजियाह का नंबर आता है। यहां पर साल 1922 में तापमान 58 डिग्री तक पहुंच चुका था, लेकिन आम दिनों में यहां का तापमान डेथ वैली से कुछ कम ही रहता है।
तो गरमी में फलोदी में जीवन कैसे चलता है
रिपोर्ट्स की मानें तो फलोदी में जब तापमान बढ़ता है तो सड़कों पर आवाजाही कम हो जाती है, लेकिन शहर की रफ्तार पर कोई ज्यादा असर पड़ता नहीं। इस गरमी में दुकानें खुली रहती हैं और लोग निकलते हैं। यूं भी रेगिस्तान के करीब होने के कारण यहां के लोगों को गरमी का आदत भी है।