-
Advertisement
#ChakkaJam : लुधियाना में प्रदर्शन के दौरान ट्रैक्टर पर दिखी भिंडरावाले की तस्वीर!
Last Updated on February 6, 2021 by Sintu Kumar
नई दिल्ली। आज किसानों ने चक्का जाम (Chakka Jam) का ऐलान किया था। दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली (Tractor Rally) के दौरान हुई हिंसा के बाद पूरे देश के लोगों की नजरें आज के चक्का जाम पर थी। हालांकि किसी जगह से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं आई और शांतिपूर्वक किसानों (Farmers Protest) का धरना-प्रदर्शन समाप्त हो गया, लेकिन किसानों (Farmers) के चक्का जाम के दौरान पंजाब के लुधियाना (Punjab Ludhiana) से एक परेशान करने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां एक ट्रैक्टर (Tractor) में लगाए गए झंडे पर कथित तौर पर भिंडरावाले (Bhindrawale) की तरह दिखने वाले व्यक्ति की तस्वीर दिखी। हालांकि यह भिंडरावाले की ही तस्वीर थी या किसी और की यह साफ नहीं हो पाया है।
यह भी पढ़ें: किसानों का देशव्यापी चक्का जाम आज, Delhi में 50 हजार सुरक्षा कर्मी तैनात
दरअसल केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में आज किसान संगठनों ने देशव्यापी चक्का जाम का ऐलान किया था। इस चक्का जाम का पंजाब और हरियाणा में व्यापक असर भी देखने को मिला। इसी दौरान पंजाब के लुधियाना शहर से चक्का जाम की एक ऐसी तस्वीर सामने आई जो की सुरक्षा एजेंसियों की सकते में डाल सकती है। लुधियाना में हो रहे किसानों के चक्का जाम के दौरान एक ट्रैक्टर में लगे एक झंडे ने सबका ध्यान खींचा। इस झंडे में एख शख्स की तस्वीर थी जिसे कहा जा रहा है कि ये तस्वीर भिंडरावाले जैसे दिखने वाले व्यक्ति की थी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि चक्का जाम में भी खालिस्तानी तत्व घुसपैठ करने में कामयाब रहे हैं।
कौन है भिंडरावाले
1973 और 1978 में अकाली दल ने आनंदपुर साहिब में एक प्रस्ताव पारित किया था। इसमें एक अलग सिख राज्य की स्थापना और पंजाब के लिए कई विशेष मांगें रखी गई थीं। भिंडरावाले ने सात साल की उम्र में दमदमी टकसाल में सिख धर्म की पढ़ाई शुरू की थी। कुछ साल पढ़ाई करने के दौरान ही भिंडरावाले के भीतर सिख धर्म की प्रति गहरी आस्था ने तो जगह बना ली, लेकिन इसके साथ ही उस पर कट्टरपंथ भी सवार हो गया। सिख धर्म के प्रति भिंडरावाले के समर्पण को देख टकसाल प्रमुख काफी प्रभावित हुए और जब उनकी मौत हुई तो संगत ने उनके बेटे की जगह जरनैल सिंह भिंडरावाले को टकसाल प्रमुख बनाया।
अकालियों की राजनीति खत्म करने के लिए कांग्रेस ने भिंडरावाले को बढ़ावा दिया। यह प्रोत्साहन परोक्ष रूप से दिया जा रहा था। इसके बाद 1978 में अमृतसर में निरंकारियों के सम्मेलन में भिंडरावाले समर्थकों और निरंकारियों के बीच खूनी झड़प हुई, जिसमें भिंडरावाले के 13 समर्थक मारे गए। इसके बाद पंजाब में राजनीतिक हत्याएं होने लगीं और लोग सरेआम मारे जाने लगे। इस बीच लड़ी संख्या में लोग भिंडरावाले के साथ जुड़ने लगे और वो ताकतवर हो गया।
1984 आते-आते अलग सिख राज्य की मांग उग्र रूप धारण कर चुकी थी। पंजाब हिंसक घंटनाएं हो रही थीं। सरकार और अलगाववादियों के बीच खूनी संघर्ष हो रहा था। 1984 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने आपरेशन ब्लू स्टार को मंजूरी दी। उस वक्त जनरैल सिंह भिंडरावाले अपने साथियों के साथ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पनाह लिए हुए था। भिंडरावाले और उसके साथी हथियारबंद थे। ऐसे में तीन से छह जून 1984 तक ऑपरेशन ब्लू स्टार चला। इसमें मशीनगन, हल्की तोपें और लड़ाकू टैंक तक इस्तेमाल हुआ। ऑपरेशन ब्लू स्टार में अकाल तख्त भी तबाह हुआ। ऑपरेशन ब्लूस्टार में 83 सेना के जवान शहीद हुए और भिंडरावाले सहित 492 नागरिक मारे गए थे।