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नहीं करते श्राद्ध- तो लगेगा पितृ दोष , जान लें पितृपक्ष से जुड़ी खास बातें
Last Updated on September 5, 2022 by sintu kumar
अश्विनी मास के 15 दिन को पितृ पक्ष कहा जाता है। इन 15 दिनों में अपने पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा और उन्हें याद करने का समय है। वैसे तो घरों में हर शुभ कार्य में पितरों को याद किया जाता है, लेकिन ये 15 दिन उनके लिए खास बनाए गए हैं। जो अपने पितरों का पिंडदान करना चाहते हैं, उन्हें गया जी जाकर पंडिदान करना होता है। पितृ पक्ष के दौरान शुभ और मांगलिक कार्यों पर पूरी तरह से पाबंदी लग जाती है। इस दौरान गृह प्रवेश, मुंडन, नए मकान या वाहन की खरीदारी भी वर्जित होती है। वैसे तो सभी इन दिनों में अपने-अपने पितरों का तर्पण करते हैं, लेकिन जो पितरों का विधिवत श्राद्ध नहीं करते , उन्हें ये बातें जान लेना जरूरी है कि इससे आपकी कुंडली में पितृ दोष आ सकता है । पितृ पक्ष के दौरान सभी पूर्वज अपने परिजनों को आशीर्वाद देने पृथ्वी पर आते हैं, और उनके पुत्र आदि उन्हें तर्पण करते हैं वो सीधा उन तक पहुंचता है। इसलिए इन 15 दिनों में उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंड दान किया जाता है। पितृपक्ष में ब्रह्मणों को कराए गए भोजन दान-धर्म के कार्यों से पूर्वजों की आत्मा प्रसन्न होती है और उन्हें शांति मिलती है, साथ ही पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है।