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पितरों की मृत्यु की तिथि न हो याद तो इस दिन करें श्राद्ध, जानिए क्या है सही विधि
Last Updated on September 13, 2023 by Soumitra Roy
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व बताया गया है. सभी पितरों का श्राद्ध (Shradh) पितृ पक्ष में ही किया जाता है. मान्यता है कि श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनका आशीर्वाद हमेशा आपके साथ रहता है। इस वर्ष पितृपक्ष 28 सितंबर से 14 अक्टूबर तक लगने वाला है. यह एक ऐसा पखवाड़ा होता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों का आशीर्वाद (Blessings) लेते हैं।इसमें कई ऐसी तिथियां होती हैं, जिस दिन श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को खुशी मिलती है और वो खुश होकर आशीर्वाद देते हैं।
16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध (Shradh) में तीन ऐसी तिथियां हैं, जिस दिन श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है। हालांकि कई बार लोग अपने पूर्वजों की श्राद्ध तिथि भूल जाते हैं या कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है जब किसी का अंतिम संस्कार विधि विधान से नही हो पाता.ऐसी स्थिति में क्या करें. पितृ पक्ष में कौन सी तिथि को भूले भटके पितरों का श्राद्ध करना चाहिए आइए जानते हैं।
कब करें श्राद्ध
- अगर किसी को अपने पूर्वजों की तिथि याद नहीं है या किसी मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार विधि विधान से संपन्न नहीं हो पाया है तो ऐसे लोगों का सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकते हैं.
- इसी तरह तिथि याद ना होने पर आप किसी सुहागिन स्त्री या माता की मृत्यु का श्राद्ध नवमी तिथि को कर सकते हैं.
- अकाल मृत्यु, किसी के द्वारा कत्ल, जल में डूबने से मौत या फिर आत्महत्या करने वाले लोगों का श्राद्धचतुर्दशी को किया जा सकता हैं
- बच्चों का श्राद्ध त्रयोदशी तिथि में किया जा सकता है.
श्राद्ध की विधि
- श्राद्ध के दिन पूरी श्रद्धा से सात्विक भोजन बनाएं.
- इसके बाद किसी ब्राह्मण को घर पर बुलाएं और भोजन कराएं. इसके बाद अपने सामर्थ्य अनुसार दान भी करें
- श्राद्ध के दिन गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी को खाना भी खिलाया जाता है.
- ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद पितरों से जाने अनजाने हुई भूल की माफी मांगें.