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नाहन। हरे-भरे खेत किसे अच्छे नहीं लगते। बंजर हो रही जमीन पर अगर कुछ ऐसा उगाया जाए जिससे हरियाली हो और आय भी बढ़े तो बात कुछ खास हो जाती है। अब बंजर होते खेतों को फिर से हरा-भरा बनाने के लिए उद्यान विभाग ने नया तोड़ निकाल लिया है। विभाग और लोगों के प्रयासों न केवल बंजर जमीन हरी भरी होगी, बल्कि जंगली जानवर भी अब इससे दूर रहेंगे। बहरहाल, जिला में बंजर जमीन पर एलोविरा, लेमन ग्रास, तुलसी व आंवला की खेती की जाने लगी है। बंदरों की समस्या से किसानों की बंजर होती जमीन को बचाने के लिए जिला आयुर्वेद विभाग द्वारा किसानों को औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। विभाग द्वारा आतीश, कुटकी, कुठ, सुगंध बालाए, सफेद मूसली, अश्वगंधा, सतावरी, सर्पगंधा व तुलसी की खेती के लिए किसानों को अनुदान प्रदान किया जाता है। किसान कलस्टर बनाकर औषधीय पौधों की खेती शुरू कर सकते है। विभाग द्वारा तुलसी की खेती पर करीब 13 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर, आतीश के लिए 1.20 लाख, कुटकी पर 1.23 लाख, कुठ 96 हजार, सुगंधबाला 43 हजार, सफेद मूसली 1.37 लाख, अश्वगंधा 1 लाख व सर्पगंधा 45 हजार रुपए अनुदान प्रदान किया जाता है।
इसके साथ ही औषधीय पौधों की फसल को किसान हिमाचल व उत्तराखंड के फार्मा उद्योगों के अतिरिक्त दिल्ली, जालंधर व अमृतसर की मंडियों में बेचते हैं। जहां पर तुलसी 30 से 100 रुपए प्रति किलोग्राम, आतीश 50 से 90, सफेद मुसली 500 से 700, कुठ 300 से 400, सतावरी 700 से 900, अश्वगंधा 400 से 600, संर्पगंधा 300 से 400, लेमनग्रास का तना 15 से 20, लेमनग्रास के पत्ते सूखे 30 से 40, एलोवीरा 10 से 14, हरड़ 30 से 90, आवला 15 से 30, पपीते के पत्ते 20 से 30 व पपीता 50 से 100 प्रतिकिलो बिकता है।
इस बारे में उपनिदेशक उद्यान विभाग सिरमौर रामलाल कपिल ने बताया कि बागवानों को नींबू, गलगल, हरड़, आंवला, पपीता, मीठा नींबू व कटहल आदि के पौधे लगाने के लिए जागरुक किया जा रहा है। इसके साथ ही अनुदान भी प्रदान किया जाता है। जिला की बर्मा पापडी पंचायत के किसान दीपक पंवार ने पांच बीघा भूमि में तुलसी व सतावरी लगाई है। कौलांवालाभूड़ के धर्म सिंह ने लेमनग्रास, संगडाह क्षेत्र के जोगेंद्र सिंह व बाबूराम ने एलोवीरा से शुरुआत कर अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं। उधर, जिला आयुर्वेद अधिकारी केआर मोक्टा का कहना है कि सिरमौर जिला में औषधीय खेती की अपार संभावनाएं है। लोगों को औषधीय पौधों की खेती के लिए जागरुक किया जा रहा है। तुलसी, अश्वगंधा, सर्पगंधा व सफेद मूसली आदि फसलों के लिए जिला का मौसम अनुकुल है। इन पौधों को जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते।
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