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हींग की खेती से महकेगी जयराम की जंजैहली, IHBT ने लगाए पौधे
Last Updated on January 28, 2020 by Deepak
संजीव कुमार/गोहर। प्रदेश के लाहुल स्पीति (Lahul Spiti) में हींग की खेती (Asafoetida crop) का ट्रायल सफल होने के बाद अब सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) के गृह क्षेत्र जंजैहली के सेब बाहुल्य इलाकों में हींग की खेती लहलाएगी। जंजैहली में हींग की खेती का ट्रायल सफल पाया जाता है, तो सराज क्षेत्र हींग की खेती में महारत हासिल करेगा।
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हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT) पालमपुर डाक्टर रमेश कुमार ने बताया कि संस्थान के उच्च अधिकारी डॉ. विजय कुमार के आदेशानुसार हींग की खेती के लिए उपयुक्त स्थानों का सर्वे किया जा रहा, जिसके लिए सराज का जंजैहली क्षेत्र में हींग की खेती की आपार संभावनाएं हैं। इसी के चलते सराज और नाचन में खेती का ट्रायल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जंजैहली के मनोज कुमार व गणेशचौक के संजीव कुमार की जमीन पर विशेषज्ञों ने हींग की खेती के लिए पहली मर्तबा ट्रायल के लिए पौधे लगाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि संस्थान की यह पहल देश को हींग के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम होगा।
आईएचबीटी पालमपुर ने तैयार की है हींग की पौध
हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर ने गुणवत्तायुक्त हींग की 6 किस्मों की पौध तैयार की है। भारत में अभी तक हींग का उत्पादन नहीं होता था। सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर में हींग के उत्पादन की पहल की जाएगी। बताया जा रहा है कि नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक के माध्यम से संस्थान को हींग के बीज उपलब्ध हुए हैं। सीएसआईआर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि पहली बार देश में नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक के माध्यम से संस्थान को हींग के बीज उपलब्ध हुए हैं और उनकी देखरेख में सभी कार्य हो रहा है।
कब और कहां कर सकते हैं हींग की खेती
हींग की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है। भारत में यह तापमान पहाड़ी क्षेत्रों में होता है और इन क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। खेती के लिए न ज्यादा ठंड और न ही ज्यादा गर्मी की जरूरत होती है। ज्यादातर खेती पहाड़ों के ढलानदार भूमि वाले खेतों में उपयुक्त मानी जाती है। जहां पर ठंड के साथ धूप का होना अति लाजमी है। डाक्टर रमेश कुमार का कहना है कि हींग मुख्य दो प्रकार की होती हैं जिसमें दुधिया सफेद और दूसरी लाल हींग होती है।