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Smart India Hackathon: PM मोदी ने गिनाईं नई शिक्षा नीति की खूबियां, बोले- आत्मनिर्भर होगा देश
Last Updated on August 1, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार शाम को स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2020 के ग्रैंड फिनाले (Grand Finale of Smart India Hackathon 2020) के प्रतिभागियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस दौरान प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है और तेजी से बदली दुनिया में भारत (India) को भी तेजी से बदलना होगा। छात्रों से बात करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि युवा भारत टैलेंट का भंडार है और देश की समस्याओं के लिए उनके पास नए और रचनात्मक समाधान हैं। थोड़े से गाइडेंस के साथ वे कोविड-19 (Covid-19) महामारी के बीच और उसके बाद के समय में देश को काफी आगे ले जा सकते हैं।
नई शिक्षा नीति नौकरी खोजने वालों के बजाय नौकरी देने वालों को बनाने पर जोर देती है
Interacting with our bright young minds at the Smart India Hackathon. https://t.co/QTx5haooWN
— Narendra Modi (@narendramodi) August 1, 2020
अपने इस सम्बोधन के दौरान पीएम मोदी ने नई शिक्षा नीति (NEP) की खूबियां गिनाईं। पीएम ने कहा कि अब आर्ट, साइंस और कॉमर्स के बीच की दूरी हटा दी गई है। अब आप मैथ के साथ म्यूजिक भी पढ़ सकते हैं। उन्होंने नई शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए कहा कि इसमें पहले की कमियों को दूर किया गया है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति नौकरी खोजने वालों के बजाय नौकरी देने वालों को बनाने पर जोर देती है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि 5 वर्ष तक देश भर में इसके हर बिंदु पर व्यापक चर्चा हुई है, तब जाकर यह नई नीति बनी है। यह सच्चे अर्थ में पूरे भारत को, भारत के सपने को अपने में समेटे हुए है। इसमें हर क्षेत्र और राज्य के विद्वानों के विचारों को शामिल किया गया है। यह सिर्फ पॉलिसी डॉक्युमेंट नहीं 130 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का प्रगटीकरण है।
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उन्होंने कहा कि आप भी अपने आसपास ऐसे लोगों को देखा होगा जो कहते हैं कि उनका ऐसे विषय के आधार पर जज किया जाता है जिसमें उसकी कभी रुचि नहीं थी, वे दूसरों के द्वारा चुने गए विषय मजबूरन पढ़ने लगते हैं। इस व्यवस्था ने देश को एक बहुत बड़ी आबादी ऐसी दी जो पढ़ी लिखी तो है लेकिन जो उसने पढ़ा है उसमें से अधिकांश उसके काम नहीं आता। डिग्रियों के अंबार के बाद भी वह अधूरापन महसूस करता है। उसके भीतर जो आत्मविश्वास आना चाहिए उसकी कमी महसूस करता है। इसका प्रभाव उसके पूरे जीवन पर पड़ता है। बक़ौल पीएम, ‘नई एजुकेशन पॉलिसी से इसी अप्रोच को दूर किया जा रहा है। भारत की शिक्षा व्यवस्था में सिस्टैमैटिक रिफॉर्म, इंटेंट और कंटेंट दोनों को बदलने का प्रयास है। 21वीं सदी नॉलेज का दौर है।’