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नई दिल्ली। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस में हिस्सा लेते हुए पीएम मोदी ने विपक्षी दल कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। राहुल गांधी पर तंज कसते हुए मोदी ने कहा कि आखिरकार भूकंप आ ही गया। मोदी ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा, कल भूकंप आया। आखिर भूकंप आ ही गया। मैं सोच रहा था कि भूकंप आया कैसे? क्योंकि धमकी तो बहुत पहले सुनी थी। कोई तो कारण होगा कि धरती मां इतनी रूठ क्यों गईं? मोदी ने कहा कि, मैं सोच रहा था कि आखिर भूकंप आया क्यूं, जब कोई स्कैम में भी सेवा का भाव देखता है, नम्रता का भाव देखता है, सिर्फ मां ही नहीं धरती मां भी दुखी हो जाती है। तब जाकर भूकंप आता है। मोदी का कटाक्ष सुनते ही कांग्रेसी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामा बढ़ता देख लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने बीच-बराव करवाया और कांग्रेसी नेता खड़गे से कहा कि कल आपने भी अच्छा भाषण दिया था। गौर रहे कि सोमवार को कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़ने ने लोकसभा में नोटबंदी और बजट को लेकर मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला था।
खड़गे के भाषण पर मोदी का पलटवार
खड़गे के भाषण पर पलटवार करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, कोई भी व्यवस्था हो लोकतांत्रिक हो चाहे कुछ भी, जनशक्ति का मिजाज कुछ और ही होता है। खड़गे कह रहे थे कि कांग्रेस की कृपा है कि आप पीएम बन पाए। वाह क्या शेर सुनाया, बहुत बड़ी कृपा की। आपने लोकतंत्र बचाया, लेकिन उस पार्टी के लोकतंत्र को देश भलिभांति जानता है। पूरा लोकतंत्र एक परिवार के नाम कर दिया गया है। 75 के कालखंड में देश पर आपातकाल थोप दिया गया था। लाखों को जेल की सलाखों में बंद कर दिया गया था, अखबारों पर ताले लगा दिए गए थे। उन्हें अंदाज नहीं था कि जनशक्ति क्या होती है। उसी लोकतंत्र और जनशक्ति की ताकत है कि गरीब मां का बेटा भी इस देश का पीएम बन सकता है। कांग्रेस पर तंज कसते हुए मोदी ने कहा, हम कुत्तों वाली परंपरा में नहीं पले-बढ़े। जब कांग्रेस पार्टी का जन्म भी नहीं हुआ था, 1857 का संग्राम, इस देश के लोगों ने जान की बाजी लगाकर लड़ा था। सबने मिलकर लड़ा था। संप्रदाय की भेद रेखा नहीं थी, तब भी कमल था, आज भी कमल है। अब तक जितनी सरकारें आईं, अब तक जितने पीएम आए, कुछ न कुछ योगदान दिया। पर उस तरफ (विपक्ष) उनके लिए उनको लगता है कि आजादी सिर्फ एक परिवार ने दिलाई, समस्या की जड़ वहां है। हम देश को पूर्णता में स्वीकार करें। इसलिए जनशक्ति को जोड़कर। कोई इंसान, कोई मंत्र नहीं होता है जो कुछ कर न सके। जरूरत होती है योजक। इस सरकार ने हर शक्ति को संवार कर जोड़ने का प्रयास किया है।
नोटबंदी पर बोले मोदी
नोटबंदी पर बोलते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, जब तक शरीर स्वस्थ्य नहीं होती है तब तक डॉक्टर ऑपरेशन नहीं करता है। नोटबंदी के लिए यह समय उचित था। अर्थव्यवस्था मजबूत थी, इसलिए हो पाया। हमारे देश में सालभर में जितना व्यपारा होता है, उतना दिवाली के दिन हो जाता है। दिवाली के आसपास कारोबार पीक पर पहुंच जाता है। दुकानदार भी 15-15 दिन बाहर चले जाते हैं। मैंने जो हिसाब किताब कहा था, उसी प्रकार से गाड़ी चल रही है। पहले दिन से सरकार कह रही थी कि नोटबंदी पर चर्चा के लिए तैयार हैं, पर आपको लग रहा था कि टीवी पर कतार, मोदी इसका फायदा उठा ले जाएगा। उस वक्त केवल टीवी बाइट देने में मजा आता था। कितना बड़ा बदलाव आया है। जो बारीकी से चीजों का अध्ययन करते हैं, उनका ध्यान जाए। 2014 के पहले का वक्त देख लीजिए, वहां से आवाज उठती थी, कोयले में कितना खाया, टू-जी में कितना गया, जल, वायु करप्शन में कितना गया, कितने लाख, कितने करोड़ गए। अब वहां से आवाज आती है कि मोदी जी कितना लाए, कितना लाए। ये मेरे लिए खुशी की खबर है। यही तो सही कदम है, ये मेरे लिए संतोष की बात है। इससे बड़ा जिंदगी में संतोष क्या है। आप किसी का नाम देकर बच नहीं सकते, आपको जवाब देना होगा। नोटबंदी से पहले इस सरकार ने कानून बनाया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, आप कितने ही बड़े क्यों न हो, मैं इस रास्ते से पीछे लौटने वाला नहीं हूं। इस देश की गरीबी के मूल में करप्शन है। देश के पास एक ऐसा वर्ग पनपा जो लोगों को हक लूटता रहा। इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि समांनांतर अर्थव्यवस्था डेवलप हुई थी। यह विषय आपकी सरकार को पता था। जब इंदिरा जी राज करती थीं तो यशवंत चव्हाण यह बात लेकर गए थे, तो उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को चुनाव नहीं लड़ने क्या? हमें चुनाव नहीं देश की चिंता है। जब तक गहरी चोट नहीं लगाओगे, नहीं बदलेगा। कुछ दलों के दिमाग में चारवाक का मंत्र घर कर गया है। मरने के बाद क्या देखा है, ये तो चारवा को ज्ञान है। इसके साथ ही मोदी ने कहा, ‘विपक्ष के लोग हम पर आरोप लगाते हैं कि नोटबंदी के दौरान 130 बार नियम बदले गए, लेकिन यह किसी ने नहीं बताया कि जनता को जिन चीजों से परेशानी थी ऐसे करीब 1100 कानून हमने खत्म किए हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि मनरेगा जैसी योजना के नियमों में यूपीए के कार्यकाल में 1033 बार बदलाव किए गए।
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