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नई दिल्ली। इस साल में पहली मन की बात में पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के वीर जवानों को सलाम किया और एग्जाम देने वाले छात्रों से कहा, स्माइल मोर, स्कोर मोर। पीएम को ‘मन की बात’ की इजाजत चुनाव आयोग ने दी है।
पीएम ने परीक्षाओं को उमंग और उत्साह का पर्व बताया। उन्होंने कहा कि इसका दबाव कभी नहीं होना चाहिए। जो इसको त्योहार मानकर आगे जाएगा वह कुछ पाएगा। अपने संबोधन में मोदी उस छात्रा का भी जिक्र किया जिसने उनसे इस विषय में सवाल पूछा था। इसके जवाब में उन्होंने छात्रों के अभिभावकों से कहा कि वे आने वाले तीन चार माह के दौरान अपने बच्चों को उत्सवपूर्ण माहौल दें और बच्चों को बेहतर करने का मौका दें। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि वह वायु सेना में फाइटर पायलट बनना चाहते थे लेकिन वह उसमें सफल नहीं हो सके। यदि ऐसे में वह मायूस हो जाते तो देश को इतना बड़ा वैज्ञानिक नहीं मिल पाता। इसलिए प्रतिस्पर्धा से नहीं अनुस्पर्धा में विश्वास रखें। उन्होंने कहा कि हमेशा अनुभव महत्वपूर्ण होता है न कि अंकों का बढ़ता क्रम। पीएम मोदी ने कहा कि अधिक अंक लाने का बोझ कभी नहीं होना चाहिए। इसलिए हमेशा ज्ञान को केंद्र में रखकर आगे बढ़ना चाहिए। जो छात्र अंकों के पीछे रहते हैं वह एक सीमित दायरे में ही उलझकर रह जाते हैं। जीवन को आगे बढ़ाने के लिए कभी भी प्रतिस्पर्धा काम नहीं आती है बल्कि खुद से अनुस्पर्धा काम आती है। यहां पर उन्होंने सचिन तेंदुलकर का भी जिक्र किया। प्रतिस्पर्धा जहां मायूसी को जन्म देती है वहीं प्रतिस्पर्धा आत्म विश्वास को बल देती है। उन्होंने कहा कि अपने से लड़कर ही जीता जा सकता है। अपेक्षाओं का बड़ा होना हमेशा ही नुकसानदेह होता है।
पीएम ने कहा कि परीक्षा में आराम, नींद और शारीरिक व्यायाम बेहद जरूरी है। सिर्फ पढ़ना ही जरूरी नहीं है बल्कि दूसरी ओर देखना भी जरूरी है। एग्जाम के दौरान भी थोड़ा ब्रेक लेना बेहद जरूरी है। यह एक नई ताजगी का संचार करता है। गहरी सांस लेना भी इन दिनों लेने से बेहद फायदा होगा और शरीर शांत हो जाएगा। इससे आप ज्यादा बेहतर कर सकेंगे। वसंत पंचमी के लिए भी उन्होंने देशवासियों को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि पिछले माह से कई भाषाओं में आकाशवाणी ने मन की बात को प्रकाशित करने का काम किया है। इसके लिए उन्होंने उन्हें बधाई दी।
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