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मंडी। फोरलेन की जद में आ रही औट कस्बे की 32 दुकानें खाली करवाने के लिए पुलिस फोर्स के साथ एसडीएम सदर ने कार्रवाई शुरू कर दी है, जिससे स्थानीय किराए पर दुकान चला रहे दुकानदारों में हड़कंप मच गया है। गौर रहे कि कार्रवाई रोक शनिवार को दो दर्जन दुकानदार अपनी व्यथा सुनाने डीसी के पास पहुंचे थे, लेकिन यहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी थी। डीसी ने उन्हें अवगत कराया कि यह कार्रवाई हाईकोर्ट के निर्देश पर हो रही है क्योंकि प्रशासन को 22 नवंबर से पहले हाईकोर्ट में शपथपत्र देना है कि उन्होंने पहले दिए निर्देश के तहत अवैध कब्जे हटाए या नहीं। डीसी की ओर से दी गई इस दलील से दुकानदारों को निराशा हाथ लगी और अब वे इस मामले को हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने का विचार बना रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि लगभग 25 साल तक दुकान करने के बाद हमें अब अवैध करार दिया जा रहा है।
हमारी दुकानों का मालिक डीसी है, क्योंकि ये दुकानें बचत समिति की बनी हैं, जिसका हम नियमित किराया तहसीलदार औट के पास जमा करते हैं परंतु उनकी तरफ से कोई नोटिस तो नहीं दिया गया, लेकिन एनएचएआई ने शनिवार दोपहर 12 बजे तक दुकानें खाली करने के आदेश दिए थे, जिसके लिए औट में उस समय दुकानदारों में हडकंप मच गया, जब पुलिस फोर्स लेकर दुकानों को खाली करने के लिए स्वयं एसडीएम पहुंच गई। दुकानदारों ने कहा कि हमारा परिवार इन्हीं बचत समिति की दुकानों से कमाई जाने वाली आय से चलता है, लेकिन अब हमें सड़क पर लाकर प्रशासन व सरकार न्याय नहीं कर रही है। औट के दुकानदारों का कहना है कि परिवार चलाने के लिए उन्हें अन्य फोरलेन प्रभावितों की तर्ज पर मुआवजा तक नहीं मिल रहा है। दुकानदारों की मांग है कि उन्हें भू-अधिग्रहण कानून-2013 के तहत पुनर्वास व पुर्नस्थापन के तहत कहीं बसाया जाए और आजीविका कमाने के अवसर दिए जाए, लेकिन प्रशासन ने राहत देने से साफ इंकार कर दिया है।
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