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पुखराज का रंग पीले फूल जैसा होता है। यह गुरु ग्रह से संबंधित तथा धनु व मीन राशि का प्रतिनिधित्व करता है। जिनकी कुंडली में गुरु कमजोर है या अशुभ है, उन्हें इसके पहनने से शुभत्व की प्राप्ति होती है। यह ज्ञान का भी द्योतक है। उत्तम जाति का पुखराज वह होता है जो चिकना और तेजयुक्त हो। सफेद रंग का पुखराज भी भारत में पाया जाता है और इतना खूबसूरत होता है कि इसे देखते ही हीरे का भ्रम होता है तब इन दोनों के अंतर से इन्हें पहचाना जाता है क्योंकि पुखराज हीरे से कम कठोर होता है। पुखराज की चमक में विद्युतमयता होती है। अगर इसे ऊनी कपड़े पर घिसें तो रात में विद्युत रश्मियां दिखाई देती हैं। जो किसी भी कारणवश पुखराज खरीदने में असमर्थ हों उन्हें पुखराज का उपरत्न पहनना चाहिए।
पुखराज चमकदार, हल्के पीले रंग में बिना किसी दाग धब्बे, जाले, या धुंधलेपन का होना चाहिए। इसकी कीमत रंग, गुणवत्ता, पारदर्शिता तथा वजन पर निर्भर करती है। तीस वर्ष से कम लोगों को 3 से 5 रत्ती, इससे बड़ों को 5 से 7 रत्ती तक ठीक रहता है। इससे बड़ा डालने पर हर्ज नहीं है। इस रत्न की इसकी प्राण प्रतिष्ठा करवा कर ही इसे धारण करना चाहिए। पहनने के लिए दाहिने हाथ का ही उपयोग करें।
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