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निजी बस ऑपरेटरों की दो टूक, रूट परमिट ट्रांसफर नहीं हुए तो जाएंगे कोर्ट
Update: Monday, March 4, 2019 @ 3:20 PM
ठियोग। हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर संघ (Himachal Pradesh Private Bus Operator Association) ने दो टूक कहा है कि अगर बस रूट परमिट ट्रांसफर (Bus Route Permit Transfer) नहीं हुए तो मजबूरन उनको कोर्ट (Court) का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। निजी बस ऑपरेटर संघ के प्रदेश महासचिव रमेश कमल ने कहा है कि हाल ही में विभिन्न क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में आयोजित की गई क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में रूट परमिट ट्रांसफर संबंधी जो मामले लाए गए थे, उन पर कोई भी संज्ञान नहीं लिया गया, उनको अगली बैठक के लिए टाल दिया गया था। लेकिन, कई क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में दूसरी बार क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक आयोजित की जा रही, लेकिन अब रूट परमिट स्थानांतरण संबंधी आवेदन भी नहीं लिया जा सका है, जिस कारण निजी बस ऑपरेटर परेशानी महसूस कर रहे हैं।
सोलन और सिरमौर जिला में दूसरी बार आयोजित हो रहीं बैठकें
निजी बस ऑपरेटर संघ के प्रदेश महासचिव रमेश कमल ने कहा है कि जिला सोलन में पांच मार्च को और जिला सिरमौर में 6 मार्च को क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण की बैठकें दूसरी बार आयोजित हो रही हैं। जिला सिरमौर और सोलन के निजी बस ऑपरेटरों का कहना है कि उनके रूट परमिट हस्तांतरण संबंधी आवेदन आरटीओ द्वारा नहीं लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ निजी बस ऑपरेटर ने बसें खरीदी हैं और जो बेचने वाला उनको भी पूरा पैसा दे दिया है। खरीददार द्वारा पूरा पैसा देने के बावजूद भी निजी बस ऑपरेटरों की बसें व उनका रूट परमिट उनके नाम हस्तांतरित नहीं हो रहा हैं। पूरे प्रदेश में इस तरह के कई मामले अभी भी लंबित पड़े हैं, लेकिन ना जाने क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण ने रूट परमिट को हस्तांतरण न करने का निर्णय क्यों लिया है, जबकि हिमाचल प्रदेश मोटर वाहन रूल की धारा 81के अंतर्गत यह प्रावधान है कि वाहन विक्रेता एवं क्रेता द्वारा 37 नंबर फार्म में संयुक्त हस्ताक्षर करके रूट परमिट को ट्रांसफर किया जा सकता है।
यह पहली बार हुआ है कि क्रेता और विक्रेता द्वारा 37 नंबर फार्म पर हस्ताक्षर करके और अन्य सारी औपचारिकताएं पूरी करने के उपरांत भी रूट परमिट हस्तांतरित नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मात्र निजी बस ऑपरेटरों को परेशान करने का साधन है।