- Advertisement -
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) भारत के दो दिवसीय दौरे पर आने वाले हैं। इस बीच एक तरफ जहां ट्रंप के स्वागत के लिए तैयारियां चल रही हैं। वहीं दूसरी तरफ देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) समेत कई नेताओं द्वारा राष्ट्रपति ट्रंप के स्वागत में खर्च की जा रही रकम पर सवाल उठाया जा रहा है। इस सारे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस के भीतर से ही पार्टी लाइन से हटकर एक आवाज मुखर हुई है। दरअसल कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhavi) ने इस मसले पर कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों का विरोध करना ठीक नहीं है। वो दो दिनों की भारत यात्रा पर आ रहे हैं। इससे भारत को कुछ अच्छे की उम्मीद करनी चाहिए ना कि इस तरह सवाल खड़े करने चाहिए।
राष्ट्रपति ट्रंप के आगमन पर 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। लेकिन ये पैसा एक समिति के जरिए खर्च हो रहा है। समिति के सदस्यों को पता ही नहीं कि वो उसके सदस्य हैं। क्या देश को ये जानने का हक नहीं कि किस मंत्रालय ने समिति को कितना पैसा दिया? समिति की आड़ में सरकार क्या छिपा रही है? pic.twitter.com/1B0Y7oKIV3
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 22, 2020
बता दें कि इससे पहले कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप के आगमन पर 100 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं, लेकिन ये पैसा एक समिति के जरिए खर्च हो रहा है, समिति के सदस्यों को पता ही नहीं कि वो उसके सदस्य हैं। क्या देश को ये जानने का हक नहीं कि किस मंत्रालय ने समिति को कितना पैसा दिया? समिति की आड़ में सरकार क्या छिपा रही है?
प्रियंका के इस सवाल बीजेपी की तरफ से जवाब भी दिया गया था। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने कहा कि आज जब विश्व में भारत के वैश्विक पद चिन्ह बढ़े हैं, ऐसे में नाखुश होकर सवाल-जवाब करना कांग्रेस को शोभा नहीं देता है। पात्रा ने कहा कि आज व्हाइट हाउस के किसी भी निर्णय में भारत फ्रंट या सेंटर में रहा है। ये हमारे लिए गर्व का विषय है। पात्रा ने कहा कि दुनिया में जब भी भारत को लेकर कुछ अच्छा होता है, कांग्रेस दुखी होती है। उन्होंने कभी-कभी ऐसे मौके आते हैं जब हम एक राजनीतिक दल के रूप में अपनी छोटी पहचान को पीछे रखकर एक देश के रूप में सामने आते हैं, एक जैसा सोचते हैं, जब दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक राष्ट्र विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश से मिलेगा तो ऐसा ही एक ऐतिहासिक मौका सामने आएगा।
- Advertisement -