Last Updated on July 25, 2020 by Deepak
गुरुग्राम। हरियाणा में किसानों के लिए अच्छी खबर है। राज्य में
खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े उद्योगों को विशेष रियायतें व
सहूलियतें दी जाएंगी।
कृषि संबंधी व्यवसाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए हरियाणा उद्यम प्रोत्साहन नीति में विशेष प्रावधान किए गए हैं। उप मुख्यमंत्री
दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) ने भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा आयोजित वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि यह बात कही। उन्होंने बताया कि फसलों के विविधिकरण पर जोर दिया जा रहा है ताकि किसान परंपरागत फसलों के अलावा अन्य ज्यादा आमदनी वाली फसलें उगा सकें। बागवानी, मत्स्य व अन्य कृषि क्षेत्रों में गुणवत्ता लाकर निर्यात बढ़ाने के लिए एग्री-बिजनेस (Agri-business) को बढ़ावा दिया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 510 करोड़ रुपये की लागत से 140 प्राइमरी व सेकेंडरी प्रोसेसिंग सेंटर बनाए जा रहे हैं। टमाटर, आलू, किन्नू व मौसमी के उत्पादन को देखते हुए इनकी प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
कृषि उत्पादों का निर्यात करने के लिए सरकार द्वारा हर संभव अतिरिक्त सहायता दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार (State government) ने ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के साथ कृषि क्षेत्र में तकनीक, शिक्षा के आदान-प्रदान व प्रशिक्षण कार्यक्रम पर एक समझौता भी किया है। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर बासमती चावल के निर्यात में 60 फीसद चावल हरियाणा से जाता है। जमीन के उर्वरा शक्ति के अनुसार प्रदेश में 393 क्रॉप-कलस्टर बनाए गए हैं। अभी तक 452 किसान उत्पादक संगठन पंजीकृत किए गए हैं जिन्हें इस साल एक हजार तक ले जाने का लक्ष्य है।