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खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की लापरवाही से सरकारी खजाने को लगी करोड़ों की चपत
Last Updated on February 17, 2020 by Deepak
हमीरपुर। कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा का कहना है कि प्रदेश में राशनकार्ड धारकों को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा वितरित किए जाने वाले सस्ते तेल के नाम पर करीब 8 करोड़ रुपए का नुकसान सीधे तौर पर सरकारी खजाने को हुआ है। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि अब यह नुकसान हुआ है, या जानबूझ कर करवाया गया है? इसका पता नहीं। इस करोड़ों के नुकसान से किस का फायदा करवाया गया है। यह बड़ा सवाल है।
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राणा ने कहा कि सरसों व सोयाबीन के तेल की खरीद को लेकर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ( Department of Food and Civil Supplies) की कारगुजारी सवालों के कटघरे में है और इसकी जांच सरकार को करवानी चाहिए । उन्होंने कहा कि पार्टी इस मुददे पर सरकार से आगामी विधानसभा सत्र में भी प्रश्न करेगी । राणा ने कहा किखाद्य एवं नागरिक आपूर्ति ने जनवरी 2020 को प्रतिमाह खरीदा जाने वाला सरसों का तेल व सोया रिफाइंड की खरीद के लिए विभाग ने ई-टेंडर निकाला था और यह टेंडर 27 जनवरी 2020 को खोला गया। इस करोड़ों के टेंडर में टेक्नीकल बिड डालने की अंतिम तिथि 17 जनवरी को थी। जबकि इस फाइनेंशियल बिड 27 जनवरी को खुली थी। फाइनेंशियल बिड जोन ए व बी के लिए तेल का मूल्य कम से कम 88 रुपए आया।
राणा ने कहा कि हालांकि इस दौरान तेल की मार्केट निरंतर गिर रही थी और इसकी जानकारी विभाग को लिखित तौर पर सप्लायर ने दी थी, जिस में सपष्ट कहा गया था कि तेल की गिरती मार्केट के मद्देनजर सरकार इस तेल की सप्लाई के लिए रि-टेंडर किया जाए लेकिन विभाग ने इस सूचना के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। इसी पत्र में यह भी कहा गया था कि अगर सरकार को रि-टेंडर नहीं करना है तो पूराना रेट जो 82 रुपए था उस पर खरीद की जाए लेकिन विभाग के इन सब सूचनाओं को नजरअंदाज करने से स्पष्ट है कि तेल के इस खेल में कईयों ने हाथ रंगे हैं। जिस से सरकार को करोड़ों का चूना लगा है। राणा ने मांग की है कि सिविल सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड की इस घोर लापरवाही व कोताही की सरकार तत्काल प्रभाव से जांच करे ताकि पहले से ही सब्सिडी पर दिए जा रहे इस तेल के खेल का माजरा क्या है। तेल के खेल के माजरे मे किस-किस ने रंगदारी की है। जिसमें सरकार के खजाने को करोड़ों रुपए का चूना लगवाया गया है।