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चंडीगढ़। कोरोना काल के दौरान पंजाब सरकार (Punjab Govt) को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें से आर्थिक संकट भी एक बड़ी समस्या है। इस महामारी के दौर में आर्थिक संकट का सामना कर रही पंजाब सरकार ने 3.5 लाख सरकारी मुलाजिमों के मोबाइल भत्ते (Mobile allowances) पर कैंची चलाते हुए भत्तों को लगभग आधा कर दिया है। सरकार ने ए कैटेगरी वर्ग के कर्मचारियों (सुपरिंटेंडेट स्तर के) का मोबाइल भत्ता 500 रुपए प्रति महीने से घटा कर 250 रुपए कर दिया है।
पंजाब सरकार ने सीनियर असिस्टेंट, पीए सहित बी कैटेगरी वर्ग के कर्मचारियों का मोबाइल भत्ता 300 रुपए से घटा कर 175 कर दिया है। वहीं सी और डी वर्ग के कर्मचारियों जिसमें क्लर्क, पटवारी, टेक्निकल स्टाफ, पिऑन व बेलदार आते हैं, का भत्ता 250 रुपए से घटा कर 150 रुपए कर दिया है। मुलाजिमों के लिए मोबाइल भत्ते की नई दरें आगामी 1 अगस्त से लागू होंगी। दिलचस्प बात यह है कि विधायकों व मंत्रियों को दिए जाने वाले मोबाइल बिलों का कोई जिक्र नहीं किया गया है। यह भत्ता अक्टूबर 2011 में उस समय लगाया गया था, जब अकाली-बीजेपी सरकार कार्यकाल पूरा करके चुनाव में उतरने जा रही थी। इससे खजाने पर लगभग 1800 करोड़ रुपए का बोझ पड़ा।
मोबाइल भत्ते में कटौती का कर्मचारी संगठनों ने विरोध किया है। साझा कर्मचारी मंच के खैहरा ने कहा कि सरकार के विधायकों और मंत्रियों को 15 हजार रुपए का भत्ता दिया जाता है। ऐसे में सरकार पहले अपने विधायकों और मंत्रियों के मोबाइल भत्तों में कटौती करे। बता दें कि वित्त विभाग ने पिछले महीने मोबाइल भत्ते में कटौती संबंधी एक प्रस्ताव तैयार करके सरकार को दिया था। जिसके बाद सरकार की तरफ से आर्थिक घाटे को पाटने के लिए यह कदम उठाया गया है।
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