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लेखराज धरटा/ शिमला। रोहड़ू के एक Govt Senior Secondary School में स्कूली छात्रों से ईंटों से भरा ट्रक Unload करवाए जाने का मामला सामने आया है। यहीं नहीं स्कूल प्रबंधन ने ईंटें भी स्कूली छात्र और छात्राओं से ही ढुलवाईं। अब सवाल यह उठता है कि क्या Schools में ऐसा कार्य करवाने को सही माना जा सकता है। अगर देखा जाए तो ईंटों से भरा ट्रक Unload करना एक जोखिम पूर्ण कार्य है। ऐसा करवा कर स्कूल प्रबंधन ने बच्चों की सुरक्षा व सेहत दोनों दांव पर लगाई है।
बता दें कि Govt Schools में बच्चों से काम करवाने के मामले सामने आते रहते हैं। इस बात को लेकर कई बार बहस भी छिड़ जाती है। कुछ माह पूर्व Bilaspur के प्राइमरी स्कूल का वाक्या काफी सुर्खियों में रहा। जहां पर छुट्टी होने पर प्राथमिक School की दो अध्यापिकाओं ने अपना पर्स व बैग स्कूली बच्चों के हाथ में थमाया हुआ था और खुद कच्ची सड़क पर गप्पे मारती हुईं चल रही थीं। इस मामले को लेकर कई शिक्षकों व लोगों ने सवाल उठाए कि इसमें गलत क्या है। लेकिन, क्या स्कूली बच्चों से ईंटों का ट्रक Unload रवाना सही है या गलत।……
रोहडू की एक Govt Senior Secondary School में इन दिनों नए कमरों के निर्माण का कार्य चल रहा है, जिसके लिए ईंटों का ट्रक मंगवाया गया था। मजदूरों को बुलाने के बजाए School के बच्चों से ही पूरा ईंट का ट्रक उतरवा दिया। ट्रक से ईंटें उतारने का यह कार्य जोखिम कार्यों की श्रेणी में आता है। ऐसे में स्कूली बच्चों से यह कार्य नहीं करवाना चाहिए था।
साफ तौर पर यह बाल मजदूरी की श्रेणी में माना जा सकता है। वहीं, यह कार्य बच्चों की सेहत के लिए भी सही नहीं है। क्योंकि ईंटों से उड़ने वाली धूल काफी हानिकारक साबित हो सकती है। वहीं, बच्चों के हाथों को भी नुकसान हो सकता है। शिक्षा विभाग को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे भविष्य में ऐसा न हो सके।
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