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राजस्थान में सबकुछ ठीक नहीं: 15 नाराज MLA संग दिल्ली पहुंचे Pilot; सिब्बल बोले- पार्टी को लेकर चिंतित हूं
नई दिल्ली/जयपुर। राजस्थान (Rajasthan) की अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार में बीते कुछ दिनों से सबकुछ ठीक नहीं चला रहा है। गहरे संकट में नजर आ रही गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम का रोल निभा रहे कांग्रेस (Congress) के दिग्गज नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने 15 नाराज विधायकों के साथ दिल्ली का रुख किया है। बतौर रिपोर्ट्स नाराज चल रहे कांग्रेसी विधायक पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर अपनी बात रख सकते हैं। इसके लिए समय मांगा गया है। वहीं दूसरी तरफ सूबे के सीएम अशोक गहलोत अपने आवास पर कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों से लगातार मुलाक़ात कर रहे हैं।
सीएम बोले- सरकार को बचाने की जिम्मेदारी सब पर है
कांग्रेस सरकार के सभी मंत्रियों और विधायकों को कहा गया है कि वह अपने क्षेत्र को छोड़कर जयपुर पहुंचे। राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के मुताबिक कैबिनेट मीटिंग में सीएम गहलोत ने कहा कि किसी विधायक या मंत्री का फोन बंद आए या फिर वह नहीं मिल रहा है तो घबराएं नहीं, उसे जाकर आप संपर्क करें। सरकार को बचाने की जिम्मेदारी सब पर है। राजस्थान में चल रहे इस सियासी घमासान पर अब पार्टी के दिग्गज नेता भी चिंतित नजर आ रहे हैं। इस बात का पता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) के इस ट्वीट से भी लगाया जा सकता है।
Worried for our party
Will we wake up only after the horses have bolted from our stables ?
— Kapil Sibal (@KapilSibal) July 12, 2020
दरअसल कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर लिखा है कि अपनी पार्टी के लिए चिंतित हूं, क्या घोड़ों के अस्तबल से निकलने के बाद ही हम जागेंगे? हालांकि, सिब्बल ने अपने इस ट्वीट में सीधे तौर पर राजस्थान का जिक्र नहीं किया है लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपनी बात कही है उससे ये साफ पता चल रहा कि उनका इशारा राजस्थान की ओर है।
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यहां जानें कहां से हुई कलह की शुरुआत
राजस्थान के सियासी समीकरण पर लगातार नजर बनाए रखने वाले लोगों को इस बात का पता होगा कि सूबे में हुए विधानसभा चुनाव के समय से ही इस बात पर चर्चा छिड़ी हुई थी कि चुनाव में जीत हासिल करने के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट में से किसे सीएम बनाया जाएगा। इस विषय को लेकर सूबे के एक दल में दो गुट बन गए और पार्टी के आलाकमान ने अपने पक्ष में चुनाव परिणाम आने के बाद अशोक गहलोत को सूबे की कमान दे दी। वहीं सचिन पायलट को नाराज ना करते हुए डिप्टी सीएम की पदवी दे दी गई। लेकिन इसके बावजूद भी पार्टी में गुटबाजी कम नहीं हुई। इस सब के बीच जब हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान शुरू हुई जांच के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि सरकार को अस्थिर करने के लिए पार्टी विधायकों को दूसरे दल की तरफ से प्रलोभन दिया जा रहा है। वहीं सूबे में सियासी संकट तब बढ़ गया जब विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में डिप्टी सीएम सचिन पायलट को ही एटीएस और एसओजी की ओर से पूछताछ का नोटिस भेज दिया गया। सचिन पायलट अपनी सरकार के इस कदम से नाराज बताए जा रहे हैं।