- Advertisement -
नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में सोमवार को जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में राष्ट्रपति शासन की मियाद बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। जो लोकसभा के बाद राज्यसभा (Rajya Sabha) में भी पास हो गया। इस दौरान राज्यसभा में तीखी बहस देखने को मिली। एक तरफ कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार को घेरने की कोशिश की और जब जवाब देने के लिए गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) खड़े हुए तो उन्होंने करारा पलटवार किया। शाह ने आजाद को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे पास सरकारों का अकाल नहीं है, मोदी की लोकप्रिय हैं और 16 राज्यों में हमारी सरकारें हैं। सुरक्षाकारणों की वजह से ही लोकसभा के साथ कश्मीर के विधानसभा चुनाव नहीं कराए गए थे। इसके बाद रमजान और अब अमरनाथ यात्रा की वजह से चुनाव नहीं हो पाए। हमारे समय में चुनाव आयोग ही चुनाव कराता है आपके समय में सरकार ही चुनाव करा देती थी।
शाह ने कहा कि चुनाव आयोग जब भी कहेगा सरकार चुनाव कराने में थोड़ी भी देरी नहीं करेगी। पीडीपी से गठबंधन का फैसला हमारा नहीं कश्मीर की जनता का फैसला था क्योंकि खंडित जनादेश मिला था। कोई दल सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या हासिल नहीं कर पाए इस वजह से हमने पीडीपी के साथ सरकार बनाई। लेकिन जब सिर से पानी ऊपर जाने लगा तो तुरंत सरकार से समर्थन वापस ले लिया। अमित शाह ने कहा कि हम तो देशभर में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव साथ कराना चाहते हैं, लेकिन आप इसका समर्थन नहीं करते। लोकसभा चुनाव में सिर्फ 6 सीटें होती है और प्रत्याशी भी कम होते हैं। वहां ऐसे स्थिति नहीं बन पाई कि प्रत्याशियों को सुरक्षा दिए बिना चुनाव हो पाएं। विधानसभा चुनाव के लिए हजार से ज्यादा प्रत्याशियों को सुरक्षा देना मुमकिन नहीं है। क्योंकि अन्य राज्यों में भी चुनाव हो रहे थे, वहां भी सुरक्षाकर्मियों की जरूरत थी। अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रपति शासन में कश्मीर में काफी काम हुआ है और बाबू गांव-गांव जाकर सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचा जा रहे हैं। जहां तक विकास नहीं पहुंचा था वहां 6 साल में हमारी योजनाएं पहुंचीं हैं।
- Advertisement -