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धर्मशाला। वन मंत्री राकेश पठानिया (Forest Minister Rakesh Pathania) ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्रिहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri) को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हिमाचल सरकार ने (Himachal Government) तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता दी है, लेकिन लगता है उनका अपना दल ही उन्हें अपना नेता मानने से गुरेज़ करता है। जहां सर्वदलीय बैठक में उनके अपने दल के अधिकांश विधायक, लोकहित को ध्यान में रखते हुए शीतकालीन सत्र को रद करने की मांग कर रहे थे, वहीं स्वार्थगत राजनीति साधने के लिए नेता प्रतिपक्ष, सरकार को उकसाने और बेतुके आरोप लगाने में व्यस्त हैं। अगर सरकार अभी कोई फैसला लेती है और बाद में लोकहित को ध्यान में रखते हुए उसे स्थगित या रद्द करती है तो ऐसे में नेता प्रतिपक्ष द्वारा ओछी राजनीति करना किसी को रास नहीं आ सकता। वह भूल रहे हैं कि वह एक ऐसी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसका विगत में रहा आलीशान भवन अब खंडहर हो चुका है और जिसके खिडक़ी-दरवाज़े दीमक निगल गई है। नेता प्रतिपक्ष की अपने दल में पूछ और उपयोगिता तो इसी तथ्य से ज़ाहिर होती है कि कांगड़ा में पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली (GS Bali) के घर में आयोजित बैठक में वह अनुपस्थित थे, जबकि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर सहित कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेता वहां उपस्थित थे। गुलाम नबी आज़ाद और कपिल सिब्बल के बयान कांग्रेस के वर्तमान हालात दर्शाने के लिए काफी हैं।
वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार सीएम जयराम ठाकुर (Chief Minister Jai Ram Thakur) के नेतृत्व में लोगों के साथ मिलकर गंभीरता से कोरोना की लड़ाई लड़ रही है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार के साथ लोगों की सहभागिता से परेशान होकर विपक्ष, विशेषकर नेता प्रतिपक्ष जो अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि विपक्ष जन कल्याण का राग भूलकर, ताल-बेताल कर रहा है। मंगलवार को शिमला में आयोजित कैबिनेट की बैठक में धर्मशाला के तपोवन (Dharamshala-Tapovan) में 7 से 11 दिसम्बर तक आयोजित होने वाले विधान सभा के जिस शीतकालीन सत्र (Winter Session of Vidhan Sabha) को रद्द करने का निर्णय लिया गया है, पहले उसके आयोजन की अधिसूचना हिमाचल सरकार ने ही जारी की थी। जिस समय यह अधिसूचना जारी की गई थी, उस वक्त कोरोना के मामलों (Corona Transition) की संख्या बेहद कम थी, लेकिन मामलों में आई अचानक वृद्धि से कैबिनेट (Cabinet) ने एकमत से ना केवल इस शीतकालीन सत्र को ही स्थगित करने का निर्णय लिया, बल्कि लोकहित में कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले लिए। राकेश पठानिया ने कहा कि विपक्ष के पास सरकार की बातों का कोई जबाव नहीं है। यह हिमाचल सरकार ही है, जिसने कोरोना संक्रमण के दौरान भी शिमला में 10 दिन का मॉनसून सत्र सफलतापूर्वक आयोजित करवाया था, जबकि देश भर की तमाम विधान सभाएं कुछ घंटे चलने के बाद ही स्थगित कर दी गई।
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