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Transport labor union: धर्मशाला। शिमला में 16 मई परिवहन मजदूर संघ की प्रस्तावित रैली को लेकर संघ व निगम प्रबंधन आमने-सामने आता दिखाई दे रहा है। एक तरफ जहां निगम प्रबंधन ने 16 मई को किसी भी कर्मचारी को छुट्टी न दिए जाने के निर्देश जारी किए हैं, वहीं मजदूर संघ का कहना है कि रैली होकर ही रहेगी। परिवहन मजदूर संघ की शिमला में 16 मई को प्रस्तावित विशाल रैली को देखते हुए सरकार और निगम प्रबंधन घबराए हुए है। रैली को रोकने के लिए सरकारी तंत्र का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। यह शब्द हिमाचल परविहन मजदूर संघ के प्रदेशाध्यक्ष शंकर सिंह ठाकुर ने जारी बयान में कहे।
ठाकुर ने आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक दवाब के कारण एसपी शिमला ने जिला प्रशासन को रैली की इजाजत नहीं देने के लिए एक पत्र लिखा है। वहीं, निगम प्रबंधन ने इससे भी आगे निकलते हुए गैरकानूनी तरीके से प्रदेश के सभी डिपुओं में 16 मई को किसी भी कर्मचारी को छुट्टी नहीं देने के निर्देश जारी किए हैं।
शंकर सिंह ठाकुर ने बताया कि संघ ने इन परिस्थितियों को देखते हुए 15 मई को शिमला में ही संघ की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाई है। प्रदेशाध्यक्ष का कहना है कि संघ का पक्ष सुने बिना ही रैली पर रोक लगाई है। प्रशासन ने रैली के लिए कोई अन्य स्थान चिन्हित किए बिना एक तरफा निर्णय लिया है जो कि सरासर अत्याचार है। ठाकुर ने कहा कि एचआरटीसी के खिलाफ पनपे रोष को अत्याचार से दबाया नहीं जा सकता। संघ ने ढाई महीने पहले नियमानुसार ओद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के दायरे में प्रबन्धन को मांगपत्र दिया था। संघ ने एक माह पहले विशाल प्रदर्शन का नोटिस दिया था। निगम कर्मचारियों के हित में संघ से कोई भी वार्ता नहीं कर पाया।
इस असफलता के पीछे निगम को अपनी पोल खुलने का डर था। इसलिए न तो वार्ता हुई और अब रैली नहीं होने देने के प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले डेढ़ साल से कर्मचारियों और प्रबंधन में गतिरोध चल रहा है जो कि निगम के हित में समाप्त होना चाहिए। संघ इसके लिए हमेशा से तैयार है, लेकिन निगम प्रबंधन ही इसमें बाधाएं उत्पन्न कर रहा है। संघ प्रदेशाध्यक्ष का कहना है कि रैली होकर रहेगी और किसी तरह की तानाशाही का भी जमकर विरोध किया जाएगा।
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