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धर्मशाला। रमेश धवाला (Ramesh Dhawala) कांगड़ा की बीजेपी की राजनीति (Kangra’s BJP politics) में कहीं ना कहीं नासुर बन चुके हैं। गाहे-बगाहे उनका नाम सामने आते ही, पार्टी बात को दूसरी तरफ घुमाकर ले जाती है। आज भी वही हुआ, बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सत्ती पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे, किसी ने धवाला का जिक्र कर दिया। पूछने वाले ने बात उनके अहसानों से शुरू की तो सत्ती ने पलक झपकते ही कह दिया कि हम बात धवाला के अहसानों की नहीं बल्कि कांग्रेस की गुंडागर्दी की कर रहे हैं।
वर्षों पहले जब धवाला के सहारे प्रदेश में धूमल की सरकार बनी थी, उस पर सत्ती ने कुछ यूं नमक छिड़का…ओवर कॉन्फिडेंस में भाग गए थे, कांग्रेसियों के हत्थे चढ़ गए। यानी उनके कहने का मतलब ये था कि धवाला उस वक्त ओवर कॉन्फिडेंस में चले गए थे, रास्ते में उन्हें कांग्रेसियों ने उठा लिया। याद रहे कि उसके बाद कुछ दिनों के लिए वीरभद्र के नेतत्व में कांग्रेस की सरकार का गठन हुआ था, लेकिन धवाला कुछ ही दिनों बाद बीजेपी से आ मिले थे। धवाला ने वह चुनाव जवालामुखी से बतौर निर्दलीय जीता था, इसलिए अब उनके समर्थक गाहे-बगाहे कहते रहते हैं कि पार्टी शायद धवाला के अहसानों को भूल गई है। इस मर्तबा जयराम सरकार में धवाला को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। खैर आज एक बार फिर से धवाला के जख्मों पर सत्ती ने नमक छिड़क दिया।
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