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राठौर बोले, Health Department ऑडियो लेन-देन मामले की जांच में Vigilance निष्पक्ष नहीं
शिमला/ धर्मशाला। कांग्रेस (Congress) प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप राठौर (Kuldeep Rathore) को लगता है कि स्वास्थय विभाग (Health Department) के ऑडियो क्लिप मामले की चल रही जांच में विजिलेंस (Vigilance) निष्पक्ष नहीं है। उनका कहना है कि विजिलेंस प्रदेश सरकार के अधीन है, इसलिए मामले की लीपापोती की जा रही है। कांग्रेस पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के बाद इस पर क्या रणनीति अपनानी है,उसका जल्द खुलासा करेगी। राठौर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस मामले में बीजेपी (BJP) के नेता संलिप्त हैं,इसलिए इसमें लीपापोती का प्रयास हो रहा है, किसी एक अधिकारी की गिरफ्तारी तक इस मामले को सीमित नहीं किया जा सकता। राठौर ने कहा कि सेनिटाइजर में भी घपला हो रहा है,जो आयुर्वेद विभाग में 250 रूपए का बिक रहा है वहीं अन्य सरकारी विभागों में 750 रूपए का बिक रहा है। उनका कहना है कि इसी तरह जो आटे की सप्लाई आ रही है उसमें भी कम आटा आ रहा है। उन्होंने कोविड-19 (Covid-19) के बढ रहे मामलों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अफरा-तफरी में लिए गए निर्णयों को जिम्मेदार बताया है। उन्हें ये भी लगता है कि क्वारटाइन सेंटरों में सुविधाएं भी बदत्तर हैं।
कोरोना से ज्यादा बिजली बिल ने डराया
कांग्रेस सचिव सुधीर शर्मा (Sudhir Sharma) ने कहा कि बिजली विभाग द्वारा जो बिल उपभोक्ताओं को भेजे गए हैं उसमें भारी चूक है और उससे यह भी पता चलता है कि विभाग में किस स्तर तक बदइंतज़ामी का आलम है। बिजली के बिल से उपभोक्ताओं को जानलेवा झटके लग रहे हैं। लॉकडॉउन (Lockdown) में ढील मिलने के बाद घर घर मीटर रीडिंग लेने व बिजली बिल देने का काम शुरू होते ही उपभोक्ता बढ़े हुए बिलों को देखकर हैरान हैं। इन लोगों को तो कोरोना ने इतना नहीं डराया जितना अब बिजली विभाग बिल थमा कर डरा रहा है। एक तरफ़ तो कोरोना महामारी के चलते पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है बहुत से लोगों का रोज़गार छिन चुका है। ऐसे समय में जबकि सारे काम धंधे बंद हैं। इस प्रकार से पिछले बिजली बिलों (Electricity Bill) को आधार मानकर नए बिल भेज देना और वह भी पहले से दोगुना ग़ैर ज़िम्मेदाराना है। लोगों को ये बिल तब पहुंचाए गए जब बीच में दो दिन का अवकाश था और बिल की अंतिम तिथि के बीच में केवल तीन दिन का समय दिया गया है। ना केवल घरेलू उपभोक्ता बल्कि छोटे और मझोले व्यापारी वर्ग के लोग भी परेशान हैं। उनको जो बिल आए हैं वह पहले की उपेक्षा कई गुना अधिक है जबकि इस दौरान व्यापार पूरी तरह से ठप रहा है। सरकार को ऐसे समय में हस्तक्षेप कर लोगों को राहत देनी चाहिए।