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धर्मशाला। एक 12 साल की बच्ची गाजियाबाद से पालमपुर पहुंच जाती है, लेकिन किन हालात में यह बच्ची इतनी दूर पहुंच गई, इसपर संशय बरकरार ही है। इसका कारण आर्ची का बार-बार बयान बदलना है। जब से यह लड़की पालमपुर पुलिस को मिली है तब से लेकर अब तक यह कई बार अपना बयान बदल चुकी है। 15 फरवरी को जब यह लड़की पालमपुर बस अड्डे पर मिली तो उस समय इसने अपना नाम टीना बताया और पुलिस को यह भी कहा कि वह अनाथ है और हरिद्वार के किसी अनाथ आश्रम में रहती है।
इसके बाद भी पुलिस ने उससे सही नाम और पता जानने का प्रयास किया लेकिन लड़की ने पुलिस को कुछ भी सच नहीं बताया। इसके बाद पुलिस ने चाइल्डलाइन से संपर्क किया और बच्ची को सकोह स्थित खुला आश्रय भेजा। यहां पर कॉउंसलिंग के बाद बच्ची ने अपना नाम सही बता दिया, लेकिन घर का पता व फोन नंबर गलत बताती रही। चाइल्डलाइन निदेशक रमेश मस्ताना ने उससे फिर से बात की और बच्ची को यह एहसास दिलवाया कि वह सुरक्षित है तो बच्ची ने अपनी मां का मोबाइल नंबर बताया। इसके बाद ही इसके परिजनों का पता चला और उन्हें यहां बुलाया गया।
धर्मशाला। गाजियाबाद से अगवा बच्ची आर्ची के परिजन धर्मशाला पहुंच गए हैं। आर्ची को महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से संचालित उत्थान संस्था के खुला आश्रय में रखा गया है। वहीं चाइल्ड लाइन और पुलिस ने आर्ची का मेडिकल जोनल अस्पताल धर्मशाला में करवाया है। अब शनिवार को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की मीटिंग होगी और कमेटी के आदेशों के बाद ही आर्ची को परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा।
चाइल्ड लाइन कांगड़ा के निदेशक एवं खुला आश्रय के प्रभारी रमेश मस्ताना ने बताया कि पालमपुर पुलिस ने बच्ची को बरामद किया था। उसके बाद पुलिस ने चाइल्ड लाइन कार्यालय में संपर्क किया और उसके बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष के आदेशानुसार सकोह स्थित खुला आश्रय में छोड़ा गया।
मस्ताना ने बताया कि बच्ची ने कॉउंसलिंग के बाद ही अपना असल पता बताया जिसके बाद उसके परिजनों से संपर्क हो सका। मस्ताना ने बच्ची के परिजनों के मिलने की सूचना पालमपुर पुलिस को दी और उसके बाद जिला पुलिस ने हरकत में आते हुए आगामी कार्रवाई को अंजाम दिया। मस्ताना ने बताया कि गाजियाबाद पुलिस में भी आर्ची की गुमशुदगी का मामला दर्ज है और गाजियाबाद पुलिस की एक टीम भी धर्मशाला पहुंच गई है। हालांकि इसे अपहरण का मामला बताया जा रहा है लेकिन पुलिस हर संभावित पहलू को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई कर रही है। आर्ची की माता सुधा यादव का इस बारे में कहना है कि वह पालमपुर और जिला कांगड़ा पुलिस के साथ-साथ चाइल्डलाइन कांगड़ा की भी आभारी हैं कि उनकी खोई हुई बच्ची को उनसे मिला दिया। आर्ची के 13 फरवरी को लापता होने के बाद सभी लोग परेशान थे और चाइल्डलाइन ने उन्हें नई किरण दिखाई है। सुधा यादव का कहना है कि वह चाहती हैं कि पुलिस इस मामले की निष्पक्ष जांच करे ताकि असली आरोपी पकड़े जा सकें और अन्य बच्चे भी सुरक्षित रह सकें।
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