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नई दिल्ली। रिलायंस जियो (Relaince Jio) ने सुप्रीम कोर्ट (SUpreme Court) के उस फैसले का विरोध किया है जिसमें दूरसंचार कंपनियों को करदाताओं की लागत पर राहत पैकेज (Relief package) दिए जाने के लिए कहा गया है। इसका विरोध जताते हुए जियो ने दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद (Telecom Minister Ravi Shankar Prasad) को पत्र लिख कहा है कि ‘जिन कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने पुराना सरकारी बकाया चुकाने का आदेश दिया है, उसके लिए उनके पास पर्याप्त वित्तीय क्षमता है। जियो ने आरोप लगाया कि सीओएआई (COAI) एयरटेल व वोडाफोन-आइडिया (Airtel and Vodafone-Idea) कंपनियों के भोंपू की तरह काम कर रहा है और जियो के प्रति उसकी सोच नकारात्मक है। जियो ने दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के संगठन सीओएआई पर सरकार को ब्लैकमेल (Blackmail) करने का आरोप लगाया है।
जियो (JIo) ने कहा है कि ‘अव्वल तो बाजार में पुरानी दो दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के डूबने की कोई संभावना नहीं है, पर ऐसा हुआ तो भी इससे दूरसंचार क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि प्रतिस्पर्धा के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां मौजूद हैं और नए सेवाप्रदाताओं के बाजार में आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।’ जियो ने असहमति जताते हुए कहा है कि ‘वह दूरसंचार सेवाप्रदाता कंपनियों के संगठन सीओएआई (Cellular Operators Association) के इस तर्क से सहमत नहीं है कि सरकार की ओर से तत्काल राहत के अभाव में दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियां डूब जाएंगी।’
पत्र में लिखा गया है- ‘फैसले से प्रभावित कंपनियां अपनी मौजूदा परिसंपत्तियों/निवेश को बाजार में बेचकर या किराए पर देकर और नए इक्विटी शेयर जारी कर सरकार के बकाए का भुगतान करने की पर्याप्त वित्तीय क्षमता रखती हैं। कंपनी ने कहा कि वह सीओएआई की इस दलील से असहमति जताती है कि तत्काल सरकार की ओर से किसी तरह की राहत देने के अभाव में इस समय निजी क्षेत्र की तीन में से दो कंपनियों को गंभीर वित्तीय संकट (Financial Crisis) का सामना करना पड़ेगा। इससे दूरसंचार क्षेत्र डूब जाएगा और इस क्षेत्र में अभूतपूर्व संकट खड़ा हो जाएगा।’
जियो ने सीओएआई (COAI ) पर आरोप लगाते हुए कहा है कि इससे कंपनियों में लोगों की नौकरी जाने, सेवा खराब होने और निवेश घटने का डर दिखाकर सरकार को ब्लैकमेल करने की कोशिश की जा रही है। जियो ने कहा कि खासकर सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए जब तीन माह का समय देने की बात सुझाई है तो सीओएआई की इस तरह की बातें कोर्ट की अवमानना के घेरे में आती है।
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