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शिमला। हाईकोर्ट ने व्यवस्था दी है कि भर्ती प्रक्रिया को केवल रोजगार कार्यालय द्वारा भेजे गए उमीदवारों के लिए ही सीमित नहीं किया जा सकता, बल्कि समाचार पत्रों में प्रकाशन और कार्यालय सूचना बोर्डों पर प्रदर्शित करने या रेडियो, टेलीविजन और रोजगार समाचार बुलेटिनों पर घोषणा कर भी बुलाया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने तीन याचिकाओं को स्वीकार करते हुए राज्य पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि वे याचिकाकर्ताओं का साक्षात्कार लें, जिन्होंने शारीरिक दक्षता परीक्षा और लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उनका साक्षात्कार केवल इस आधार पर नहीं किया गया था कि उनका नाम रोजगार कार्यालय के साथ पंजीकरण/वैध पंजीकरण नहीं है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं के परिणाम घोषित करने के आदेश भी पारित किए।
न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति चंदर भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं को स्वीकार करते हुए उक्त निर्णय सुनवाया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि पुलिस महानिदेशक के कार्यालय ने हिमाचल में कांस्टेबलों के पद के लिए भर्ती नोटिस जारी किया। प्रार्थियों को शारीरिक और अन्य मानकों और शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए बुलाया गया था। उन्होंने फिजिकल टेस्ट और लिखित परीक्षा को भी उत्तीर्ण किया। उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था, लेकिन उनमें से एक को इस आधार पर साक्षात्कार के बाद अयोग्य घोषित कर दिया गया था कि उनका नाम रोजगार कार्यालय में दर्ज नहीं किया गया था और दूसरों को भी इसी तरह के आधार पर साक्षात्कार नहीं लिया गया था।
न्यायालय ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून के प्रति उत्तरदाताओं की कानून के बारे में अनभिज्ञता और अन्यथा परिहार्य मुकदमेबाजी के लिए प्रेरित किया गया है, क्योंकि पुलिस विभाग ने कानूनी राय लेने की जहमत नहीं उठाई है और यदि कानूनी राय मांगी गई है तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय की बड़ी पीठ द्वारा तय किए गए कानून का प्रस्ताव पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया गया है।
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