-
Advertisement
NEET रिजर्वेशन मामले पर सुप्रीम कोर्ट का बयान- आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं
Last Updated on June 11, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। तमिलनाडु में NEET पोस्ट ग्रेजुएशन रिजर्वेशन मामले (Post graduation reservation matters) पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण किसी का बुनियादी अधिकार नहीं है। इस मामले में DMK-CPI-AIADMK समेत तमिलनाडु के कई राजनीतिक दलों (Political parties) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें NEET परीक्षा के लिए 50 फीसद ओबीसी (OBC) आरक्षण की मांग की गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर इस याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया कि आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं है।
यह भी पढ़ें : भारत में पहली बार Corona ने एक दिन में ली 350 से ज्यादा की जान, 3 लाख के करीब पहुंचा कुल आंकड़ा
जानकारी के लिए बता दें, तमिलनाडु में सभी राजनीतिक दलों ने ओबीसी के लिए मेडिकल की अखिल भारतीय परीक्षा NEET में 50 फीसद आरक्षण दिए जाने की मांग की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इंकार करते हुए कहा- आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं है। हम आपकी याचिका को खारिज नहीं कर रहे हैं। क्योंकि आप तमिलनाडु के लोगों की हित की बात कर रहे हैं। हमें खुशी है कि आप सभी लोग एक साथ आए मगर क्योंकि आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है। इसलिए हम इस पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं और इसे हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए भेज रहे हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘किसका मौलिक अधिकार छीना गया है? आपकी दलीलों से लगता है कि आप सिर्फ तमिलनाडु के कुछ लोगों की भलाई बात कर रहे हैं। DMK ने अदालत में कहा था कि हम अदालत से ज्यादा आरक्षण जोड़ने को नहीं कह रहे हैं, बल्कि जो है उसे लागू करवाने को कह रहे हैं।