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कुल्लू। सड़क दुर्घटनाएं मानवीय त्रास्दी होती हैं। इनके कारण मनुष्य को सामजिक व आर्थिक तौर पर अकाल मृत्यु, चोट, उत्पादकता में हानि जैसे भारी नुकसान उठाने पड़ते हैं। सड़क दुर्घटनाएं प्रमुख होती हैं, लेकिन जन स्वास्थ्य के तौर उपेक्षित रहती हैं। संयुक्त राष्ट्र ने अपने सतत विकास के उत्थान को बनाए रखने के लिए 2020 तक जो मनोचित्र बनाया है, उसके अंतर्गत विश्व भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु और चोटों की दर को आधा करना है।
108 एबुलेंस को आधार बना कर प्रदेश में होने वाले सड़क हादसों का सर्वे किया गया है। इस सर्वे की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में 713 ऐसे स्थान हैं, जहां पर सबसे अधिक दुर्घटनाओं की प्रवृति रही है और 255 ऐसे स्थान जहां बार-बार सड़क हादसे होते हैं।
प्रदेश भर में 45 ऐसे स्थान हैं, जहां पर बहुत ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। यहां पर अनेक प्रकार के पीड़ित दिखाई देते हैं, जो गंभीर रूप से घायल होते हैं और कुछ एक की तो इनमें से मृत्यु भी हो जाती है।
इस रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि सड़क हादसों का मुख्य कारण क्या है, उन्हें कैसे रोका जा सकता है, सड़क हादसों का समय, सप्ताह के कौन से दिन सबसे अधिक हादसे होते हैं। इन सड़क हादसों में आयु वर्ग के हिसाब से शिकार होने वालों की संख्या के साथ ये भी बताया गया है कि कौन से जिले में कितने और दिसंबर, 2010 से दिसंबर, 2017 तक कितने सड़क हादसे हो चुके हैं।
इस अध्ययन के नतीजों के आधार पर यह पता चलता है कि प्रदेश में निम्न स्तर की सड़क सुविधा, गति की अनदेखी, ड्राइविंग के साथ शराब पीने की आदत, मोटरसाइकिल को बिना हेलमेट के चलाना और बच्चे के लिए अलग से सीट लगाना कुछ ऐसे तथ्य हैं जो सड़क दुर्घटनाओं में चोटों और मृत्यु के लिए प्रमुख योगदान है। क्योंकि प्रदेश की भौगोलिक स्थिति एक बड़ी चुनौती है और यहां पर कुछ ऐसे भू-भाग हैं, जिन्हें देशभर में सबसे मुश्किल माना जाता है तथा यातायात का एक मात्र साधन सड़क परिवहन है। ऐसे में सड़क दुर्घटना के समय उपयुक्त व त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए।
108 आपातकालीन सेवा प्रबंधन द्वारा निपटाई गई कुल आपातकालीन घटनाओं में 5.7 सड़क दुर्घटनाएं हैं। पिछले सात वर्षों से अपनी सेवाएं प्रदान करते हुए 108 ने 56069 सड़क दुर्घटनाओं को संभाला है। यदि हम शहरी क्षेत्रों की बात करें तो 108 एबुलेंस सेवा द्वारा सड़क हादसों से संबंधित मामले में मात्र 12 मिनट व 19 सेकेंड में तथा ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 21 मिनट व 11 सेकेंड में आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध करवाईं हैं।
गूगल मैप जैसी आधुनिक तकनीकों के आने से त्वरित कार्रवाई का समय वर्ष दर वर्ष कम हो रहा है। क्योंकि इनके माध्यम से आपातकालीन वाहन को दुर्घटना स्थल तक और शीघ्रता से पहुंचाने की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध हो जाती है। यद्यपि 2016 की अपेक्षा 2017 में सड़क दुर्घटनाओं में थोड़ी कमी दर्ज की गई है, तथापि इमरजेंसी रिस्पांस सेंटर में जब से यह स्थापित हुआ है तब से दुर्घटनाओं की दर में लगातार वृद्धि हो रही है। यदि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्य को छूना है तो मौजूदा सड़क दुर्घटना की दर में सालाना 17 की कमी लानी होगी, जिससे 2020 तक के नियत समय में 50 फीसदी की कमी का लक्ष्य प्राप्त होगा।
जिलावार सड़क दुर्घटनाएं
जिला कुल पीड़ित
कांगड़ा 10347
ऊना 7633
सोलन 7107
शिमला 7093
मंडी 5823
सिरमौर 5497
बिलासपुर 3965
हमीरपुर 3933
कुल्लू 2111
चंबा 1971
किन्नौर 328
लाहुल-स्पीति 261
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