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“खड्डी” से ऐसे पलता है पूरा परिवार
Last Updated on July 24, 2020 by Sintu Kumar
कुल्लू-मनाली के मध्य प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नग्गर स्थित रॉरिक आर्ट गैलरी के साथ लगते शरण गांव की रहने वाली कमला के परिवार से कोई भी सरकारी नौकरी में नहीं है। होश संभालते ही उसने खड्डी को जीने का सहारा बना लिया। पारम्परिक और सस्ती सी खड्डी उसके परिवार के लिए वरदान बन गई। कमला बताती है कि वह खड्डी पर बुनाई का कार्य नियमित तौर पर करती है। इसके साथ-साथ वह मवेशियों की देखभाल तथा अन्य घरलेू कार्यों का भी निष्पादन करती है। वह दोडू, पट्टू, स्टॉल तथा गर्म वस्त्रों के लिए पट्टी की बुनाई करती है। नग्गर घाटी में हमारे देश के अलावा बड़ी संख्या में विदेशी टूरिस्ट आते हैं और वे हाथ से बुनी हुई वस्तुओं को बहुत पंसद करते हैं। वह अपने उत्पादों को बेचकर अच्छा पैसा कमा लेती है। इसी खड्डी से कमला ने अब एक अच्छा सा घर भी बना लिया है। वह नई पीढ़ी से बुनाई की इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती है।