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लोकिंदर बेक्टा/शिमला। हिमाचल पुलिस के साथ कदम से कदम मिलाकर काम करने वाले होमगार्ड के जवानों को महंगाई के इस दौर में वेतन को तरसना पड़ रहा है। बताया जाता है कि होमगार्ड के जवान दो माह से वेतन को तरस रहे हैं। इन्हें दो माह से वेतन नहीं मिला है। जबकि ये जवान पुलिस के साथ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर ड्यूटी दे रहे हैं। ऐसे में इनका दैनिक जीवन उधार की गाड़ी पर ही चल रही है। राज्य में इस समय 8 हजार के हेमगार्ड के जवान है और इनमें से करीब 3 हजार जवान पुलिस में ड्यूटी दे रहे हैं। इनमें से 400 जवान तो अकेले शिमला में ही तैनात किए गए हैं। होमगार्ड के ये जवान थाना चौकियों में तैनात किए गए हैं। वहां से ये रात्रि ड्यूटी देने के साथ-साथ समन तामील करने और अन्य अहम सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। कुछ जवान विजिलेंस में भी तैनात हैं, लेकिन ये अपने वेतन को मोहताज हो गए हैं। बताते हैं कि ये होमगार्ड जवान नवंबर और दिसंबर के वेतन से अभी तक महरूम हैं।
अब जनवरी माह भी करीब आधा हो चला है। लेकिन अभी तक उन्हें कोई वेतन नहीं मिला है। इससे उनमें भारी निराशा है। एक होमगार्ड को इस समय 17134 रुपये वेतन मिलता है। यह बढ़ोतरी सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद हुई है। इससे पहले इन्हें 84 सौ रुपए वेतन मिलता था। बताते हैं कि गृह विभाग को सैलरी का करीब 34 करोड़ का बजट जारी ही नहीं किया है। इस कारण होमगार्ड जवानों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। उधर, होमगार्ड राज्य वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव प्रकाश नेगी ने बताया कि दो माह से वेतन अटकने से राज्य में सेवाएं दे रहे 3000 जवान परेशान हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने मांग की है कि उनके वेतन को जल्द से जल्द जारी किया जाए। उनका कहना था कि वेतन न मिलने से उनको घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। उनकी मांग है कि उन्हें जल्द से जल्द वेतन जारी किया जाए, ताकि उन्हें परेशानियों से छुटकारा मिल सके।
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