- Advertisement -
मंडी। महज 12 साल की उम्र में बहादुरी को झंडे गाड़ने वाले प्रफुल्ल शर्मा के इरादे भी बड़े है। दिल्ली में सम्मान पाकर लौटे इस बहादुर बच्चे के सपने भी बड़े है। सरकाघाट निवासी प्रफुल्ल शर्मा बड़ा होकर डॉक्टर बनना चाहता है। प्रफुल्ल शर्मा का लक्ष्य है कि वह डॉक्टर बनकर गरीब लोगों के लिए कुछ करना चाहता है। दिल्ली में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त करने के बाद सरकाघाट के साथ लगते बरछवाड़ गांव का 12 वर्षीय प्रफुल्ल शर्मा अपने घर लौट आया है। घर पहुंचने से पहले प्रफुल्ल शर्मा मंडी जिला मुख्यालय पहुंचा और परिवार सहित डीसी मंडी संदीप कदम से मुलाकात की।
प्रफुल्ल ने डीसी मंडी को बताया कि किस प्रकार से उसने दिसंबर 2015 को स्कूल बस की ब्रेक लगाकर अपने सहपाठियों की जान बचाई थी। प्रफुल्ल शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए उसे दिल्ली जाना पड़ा, जहां पर उसे प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का मौका मिला और अब घर आकर डीसी मंडी संदीप कदम से मिलने का अवसर प्राप्त हुआ है। प्रफुल्ल ने बताया कि यह सब उसके लिए एक बेहतरीन अनुभव रहा। प्रफुल्ल के अनुसार उसका सपना बड़ा होकर डॉक्टर बनने का है, ताकि वह गरीब लोगों की सहायता कर सके. वहीं डीसी मंडी संदीप कदम ने प्रफुल्ल शर्मा को साहसिक कार्य करने और राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार जीतने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रफुल्ल शर्मा ने अपने साहस का परिचय दिया है। बता दें कि प्रफुल्ल शर्मा अभी सरकाघाट के एक निजि स्कूल में 8वीं कक्षा का छात्र है और इतनी छोटी सी उम्र में प्रफुल्ल ने वो मुकाम हासिल कर लिया है, जिसके लिए शायद कईयों की जिंदगी बीत जाती है। प्रफुल्ल बाकी बच्चों के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बनकर सामने आया है।
——
- Advertisement -