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देहरादून। सरकार के प्रमोशन पर आरक्षण हटाने वाले फैसले के खिलाफ एससी व एसटी कर्मचारी भड़क गए हैं। कर्मचारियों ने आरक्षण हटाए जाने के खिलाफ आंदोलन करने की बात कही है। दरअसल, उत्तराखंड (Uttrakhand) सरकार ने अपने कार्यकाल के तीन साल पूरे होने पर प्रमोशन के लिए आरक्षण (Reservation) का सहारा नहीं देने का फैसला लिया था। जनरल-ओबीसी (Gen-OBC) के कर्मचारी काफी समय से इसके लिए आवाज उठा रहे थे। अब सरकार के इस फैसले के बाद प्रमोशन सामान्य रूप से हो पाएगी।
उत्तराखंड एससी /एसटी इंप्लाइज फेडरेशन की देहरादून में एक आपात बैठक में सरकार के निर्णय की आलोचना की गई। इन लोगों का कहना है कि सरकार ने एससी एसटी वर्ग के साथ छल किया है, जिसके उसे भविष्य में कीमत चुकानी पड़ेगी। उसने दबाव में आकर निर्णय लिया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सात फरवरी 2020 के आदेश में स्पष्ट कहा था कि सरकार अपने विवेक से प्रमोशन में आरक्षण दे सकती थी।
जानकारी के लिए बता दें, नैनीताल हाईकोर्ट (Nainital High Court) ने पिछले साल अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्रमोशन में आरक्षण को लेकर तीन आदेश दिए थे। हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी इसके बाद 2 फरवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल हाईकोर्ट के दोनों आदेशों को निरस्त करते हुए याचिकाओं का निपटारा कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लागू करने की मांग को लेकर उत्तराखंड के कर्मचारी 2 मार्च से हड़ताल पर चले गए थे। इन कर्मचारियों का आंदोलन उग्र रूप लेता जा रहा था। जिसके बाद बाद राज्य सरकार ने प्रमोशन पर रोक लगाने वाले 11 सितंबर, 2019 के शासनादेश को निरस्त करने का शासनादेश जारी कर दिया।
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