-
Advertisement
हरियाणा में हिन्दी को कोर्ट की आधिकारिक भाषा बनाने के खिलाफ याचिका SC से खारिज
Last Updated on June 8, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हरियाणा (Haryana) अधीनस्थ अदालतों में हिन्दी को आधिकारिक भाषा (official language) बनाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी तथा याचिकाकर्ताओं को अपनी शिकायत लेकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय जाने की सलाह दी। हरियाणा आधिकारिक भाषा (संशोधन) कानून 2020 को चुनौती देने के लिए कुछ वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह संशोधन राज्य की अदालतों और न्यायाधिकरणों में हिन्दी (Hindi) को आधिकारिक भाषा बनाता है।
यह भी पढ़ें: अब से Uttarakhand में दो राजधानियां: गैरसैंण को बनाया गया Summer Capital
ज्यादातर वकील वहां हिन्दी में ही बहस करने में बेहतर महसूस करते हैं
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबडे ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालयों की भाषा हमेशा से अलौकिक रही है, भले ही हम ब्रिटिश शासन में वापस जाएं। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की भाषा हिन्दी और अंग्रेजी है। बार का बड़ा हिस्सा अंग्रेजी से परिचित है। पीठ ने कहा, इसमें कुछ भी गलत नहीं है कि कुछ राज्यों की अधीनस्थ अदालतों की भाषा अगर हिन्दी हो। ब्रिटिश शासन में भी सबूतों की रिकॉर्डिंग स्थानीय भाषा में ही की जाती थी। कोर्ट ने कहा कि कुछ राज्यों में हिन्दी को अधीनस्थ अदालतों की आधिकारिक भाषा बनाये जाने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि ज्यादातर वकील वहां हिन्दी में ही बहस करने में बेहतर महसूस करते हैं। ऐसे राज्यों में वकीलों के लिए अंग्रेजी भाषा एक चुनौती के तौर पर होती है।
यह भी पढ़ें: Assam सरकार का बड़ा फैसला: स्कूल, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में Free होगा एडमिशन
बहुराष्ट्रीय कंरनियों को अपने मामलों में हिंदी में बहस करने में समस्या होगी
याचिकाकर्ता समीर जैन ने कहा कि वह इस बात के खिलाफ नहीं थे कि कोर्ट की कार्रवाई हिन्दी में हो या किसी अन्य भाषा में। बहुराष्ट्रीय कंरनियों को अपने मामलों में हिन्दी में बहस करने में समस्या होगी। इस पर पीठ ने कहा कि यह विचाराधीन कानून अंग्रेजी भाषा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध नहीं लगाता है। पीठ ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर अदालत की अनुमति से कार्रवाई में अंग्रेजी भाषा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। याचिका में कहा गया था कि अंग्रेजी हमारे देश में सब जगह बोली जाती है। अंग्रेजी भाषा को अधीनस्थ कोर्ट से हटाने के गंभीर परिणाम होंगे। याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन कर संविधान की धारा 14, 19 और 21 का उल्लंघन किया गया है। इससे हिन्दी और गैर-हिन्दी भाषी वकीलों के बीच एक खाई बनाने की कोशिश की गई है।