- Advertisement -
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के आखिरी नतीजे आने में इस बार देर हो सकती है। इसकी वजह है सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का सोमवार को दिया गया आदेश। इस आदेश में कहा गया है कि चुनाव आयोग (EC) एक विधानसभा के पांच पोलिंग बूथ पर ईवीएम (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) का मिलान करे। इससे पहले हर विधानसभा के एक पोलिंग बूथ पर ही पर्चियों का मिलान होता था। इस व्यवस्था के खिलाफ 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
विपक्षी दलों ने मौजूदा लोकसभा चुनाव में नतीजे से पहले 50% ईवीएम और वीवीपैट का मिलान करने की मांग की थी। लेकिन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली बेंच इस मांग पर सहमत नहीं हुई। बेंच ने कहा, इसके लिए बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ेगी और बुनियादी ढांचे को देखते हुए ये मुमकिन नहीं लगता। इससे पहले सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वीवीपैट स्लिप गिनने का मौजूदा तरीका सबसे उपयुक्त है।
इन विपक्षी दलों ने दायर की थी याचिका
चन्द्रबाबू नायडू के अलावा शरद पवार, केसी वेणुगोपाल, डेरेक ऑब्रान, शरद यादव, अखिलेश यादव, सतीश चंद्र मिश्रा, एमके स्टालिन, टीके रंगराजन, मनोज कुमार झा, फारुख अब्दुल्ला, एस एस रेड्डी, कुमार दानिश अली, अजीत सिंह, मोहम्मद बदरुद्दीन अजमल, जीतन राम मांझी, प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं।
यह होता है वीवीपैट
इसके तहत ईवीएम से प्रिंटर की तरह एक मशीन अटैच की जाती है। वोट डालने के 10 सेकंड बाद इसमें से एक पर्ची बनती है, इस पर जिस उम्मीदवार (Candidate) को वोट दिया है उसका नाम और चुनाव चिन्ह होता है। यह पर्ची सात सेकंड तक दिखती है, इसके बाद मशीन में लगे बॉक्स में चली जाती है। इस मशीन को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड डिजायन किया है। सबसे पहले इसका इस्तेमाल 2013 में नगालैंड विधानसभा चुनाव में हुआ था।
- Advertisement -