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हमीरपुर। यहां के दियोटसिद्ध मंदिर ट्रस्ट और महंतों के बीच संपत्ति के विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट की अर्जी खारिज कर दी है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में इस साल 9 मई को खारिज हो गया था। लेकिन ट्रस्ट ने यह कहते हुए दोबारा अर्जी दी थी कि वे मामले की ठीक से पैरवी नहीं कर सके थे।
महंत राजेंद्र गिरी महाराज ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि इससे पहले हाईकोर्ट ने भी महंतों के हक में फैसला सुनाया था। ट्रस्ट ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसे डबल बेंच ने खारिज कर दिया था।
ट्रस्ट बनाम महंत संपत्ति विवाद 11 साल से कानूनी दांव-पेंच में उलझा है। पुश्तैनी मिल्कियत की जमीन के हक-हकूकों को लेकर चले विवाद का अब जाकर अंत हुआ है। 16 जनवरी, 1987 को हिमाचल प्रदेश सरकार ने दियोटसिद्ध मंदिर ट्रस्ट की सारी संपत्ति का अधिग्रहण कर लिया था। इससे महंतों गुरु गद्दी से चली आ रही परपंरागत जमीनों के मालिकाना हक-हकूक से वंचित हो गए थे। महंतों ने सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी।
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