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Aadhaar की संवैधानिक वैधता पर SC में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
Update: Friday, May 11, 2018 @ 7:57 PM
नई दिल्ली। आधार से जुड़े कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को SC में सुनवाई पूरी हो गई। SC के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 4 महीने और 38 दिनों तक चली सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। SC के इतिहास में यह दूसरा मामला है, जिसमें संविधान पीठ के समक्ष इतनी लंबी सुनवाई चली है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र का पक्ष रखा, जबकि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, राकेश द्विवेदी, श्याम दीवान भी कई पक्षकारों की तरफ से पेश हुए। आपको बता दें कि 2016 आधार को प्रभावी बनाने वाले कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई थीं। आधार का मुद्दा देशभर में काफी चर्चा में रहा है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान डेटा की सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठे थे।
बेंच के सामने ये सवाल उठे
सुनवाई के दौरान केंद्र ने आधार को मोबाइल फोन से लिंक कराने के अपने फैसले का मजबूती से बचाव किया। हालांकि SC ने मोबाइल फोन को आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने के सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए।
- SC ने कहा कि मोबाइल यूजर्स के अनिवार्य सत्यापन पर उसके पिछले आदेश को ‘हथियार’ के रूप में इस्तेमाल किया गया।
- आधार के लिए ली गई जानकारी कितनी सुरक्षित है? कोर्ट ने कहा- यह कहना मुश्किल है, क्योंकि देश में डेटा सुरक्षा को लेकर कोई कानून मौजूद नहीं है।
- अगर आधार डेटा का इस्तेमाल चुनाव नतीजों को प्रभावित करने में होगा तो क्या लोकतंत्र बच पाएगा।
UIDAI का तर्क
यूआईडीएआई की ओर से कहा गया है कि ‘बायोमेट्रिक डेटा किसी के साथ शेयर नहीं किया जाता है। जिसका आधार है उसकी सहमति के बिना ये किसी को नहीं दिया जाता। हम सुनिश्चित करेंगे कि डेटा लीक नहीं हो लेकिन 100 फीसदी गारंटी तो नहीं दी जा सकती है।’ मामले पर सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि आधार प्रमाणीकरण में विफलता से जरूरतमंदों के सामने समस्या आ सकती है और इसके लिए कोई समाधान तलाशा जाना चाहिए। बेंच में जस्टिस एके सीकरी, एएम खानविलकर और अशोक भूषण भी शामिल हैं।