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नई दिल्ली। चार दक्षिणी राज्यों के बीच कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच कहा कि कोर्ट कावेरी जल प्रबंधन योजना को अंतिम रूप देने से पहले सभी भागीदारों के सुझाव पर ध्यान देगा। कोर्ट इस मामले में 22 या 23 मई को फैसला सुनाएगी। कर्नाटक सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील श्याम दीवान ने कावेरी योजना पर कुछ सुझाव पेश किए। उन्होंने कहा कि कावेरी जल विवाद ट्रायब्यूनल ने तमिलनाडु और कर्नाटक की ओर से बांध में एक न्यूनतम जल सीमा बनाए रखने को कहा था, ताकि पानी का बहाव निरंतर बना रहे। उन्होंने कहा कि योजना के प्रारूप में इस मसले पर ध्यान नहीं दिया गया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, डीवाय चंद्रचूड़ और एएम खानविलकर की बेंच के सामने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने योजना के प्रावधानों में संशोधन किया है। इसके अनुसार, केंद्र सरकार को जल वितरण के बारे में समय-समय पर आदेश जारी करने का पूरा अधिकार दिया गया है।
इससे पहले बुधवार को कोर्ट ने केंद्र से योजना के प्रारूप में कुछ बदलाव करने को कहा था, जिसमें केंद्र को समय-समय पर आदेश जारी करने का अधिकार भी शामिल है। कावेरी जल योजना एक बार फाइनल हो जाने के बाद सामान्य स्थिति और सूखे के समय कावेरी नदी के बेसिन पानी के बंटवारे का निश्चित समाधान निकलने की संभावना है।
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