-
Advertisement
SC ने कहा- प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं, चिराग पासवान ने जताई असहमति
Last Updated on February 9, 2020 by
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि सरकारी नौकरियों के प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in promotion of government jobs) मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘राज्य सरकार आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है, राज्य सरकार को आरक्षण देने के लिए कोर्ट आदेश जारी नहीं कर सकता है।’ गौरतलब है कि नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को प्रमोशन में आरक्षण देने का निर्देश दिया था। वहीं अब बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के नेता और सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर असहमति जताई है। एलजेपी नेता ने पूना पैक्ट का जिक्र करते हुए कहा है कि पुरानी व्यवस्था को ही चलने दिया जाए।
उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 फरवरी 2020 को दिए गए निर्णय जिसमें उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी/पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से सहमत नहीं है। यह निर्णय पूना पैक्ट समझौते के खिलाफ है। पार्टी भारत सरकार से मांग करती है कि तत्काल इस संबंध में कदम उठाकर आरक्षण/पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था जिस तरीके से चल रही है उसी तरीके से चलने दिया जाए।’ बता दें कि कोर्ट ने 7 फरवरी को दिए गए फैसले में कहा था सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी/प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।