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MP मामले में SC का फैसला- राज्यपाल का फ्लोर टेस्ट का आदेश सही था, कांग्रेस की याचिका खारिज
Last Updated on April 13, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। देश में जारी कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के संकट से इतर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का कामकाज जारी है। अदालत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने अहम मामलों को निपटा रही है। इसी सिलसिले में शीर्ष अदालत ने मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सीएम शिवराज सिंह चौहान की तरफ से दायर याचिका पर फैसला सुनाया है। अदालत का कहना है कि मार्च में राज्यपाल द्वारा बहुमत परीक्षण का आदेश देना सही था। जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जब सरकार ने बहुमत खो दिया तो यह बहुत जरूरी था।
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खंडपीठ ने कांग्रेस के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को नामंजूर कर दिया कि राज्यपाल इस तरह का आदेश पारित नहीं कर सकते। यानी अदालत ने कांग्रेस की याचिका को खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्यपाल ने तब खुद कोई फैसला न लेते हुए बहुमत परीक्षण कराने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट अदालत ने कहा कि राज्यपाल विधानसभा के चालू सत्र के दौरान भी अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। अदालत ने इस दौरान राज्यपाल के अधिकारों को लेकर एक विस्तृत आदेश भी जारी किया।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के गवर्नर लालजी टंडन ने सियासी उठापटक के बीच विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। लेकिन, जब सदन की शुरुआत हुई तो विधानसभा स्पीकर ने सदन को कोरोना वायरस के चलते कुछ दिनों के लिए टाल दिया था। जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। इसके बाद मार्च में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद उनके समर्थन में 20 से ज्यादा विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राज्य की तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। तब कांग्रेस ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाए थे। फिर तुरंत शीर्ष अदालत में विधानसभा में बहुमत परीक्षण को लेकर याचिका दायर की गई थी। हालांकि कमलनाथ ने बहुमत परीक्षण से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।