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शिमला। एचपीयू में खूनी तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार रात को हुई झड़प के बाद शनिवार को एक बार फिर से एसएफआई और एबीवीपी के बीच झड़प हो गई। हालांकि पुलिस के भारी बंदोबस्त के चलते दोनों संगठनों के कार्यकर्ता तितर-बितर हो गए, लेकिन विश्वविद्यालय परिसर में तनाव बना हुआ है और विवि परिसर में क्यूआरटी तैनात की गई है। विवि के टैगोर छात्रावास में इन दोनों संगठनों के बीच झड़प हुई थी और इस दौरान कई छात्र घायल हुए थे। आज सुबह पुलिस ने विद्यार्थियों को चैक करने के बाद ही विवि परिसर में जाने दिया। पुलिस के जवान सुबह से आईकार्ड चैक रहे थे, लेकिन मारपीट की सूचना मिलने के कारण आज विवि में कम विद्यार्थी आए थे।
बताते हैं कि कल दोपहर को विवि परिसर में इन दोनों संगठनों के कार्यकर्ताओं के बीच बहसबाजी हुई थी और उसके बाद रात को खूनी झड़प हुई है। इस दौरान हॉस्टल के शीशे टूट गए और एक बाइक को भी तोड़ा गया है।
पुलिस ने इस संबंध में एबीवीपी के 12 कार्यकर्ता हिरासत में लिए हैं। गौर हो कि शुक्रवार रात हुई झड़प में डंडे-रॉड और अन्य तेजधार हथियारों का इस्तेमाल किया गया था और विवि के टैगोर छात्रावास के डाइनिंग हॉल और कामन रूम में यह झड़प हुई थी। जानकारी के मुताबिक एबीवीपी कार्यकर्ता टैगौर छात्रवास के डाइनिंग हाल में जमा हुए थे और वहां कामन रूम को भी बंद कर दिया था, जबकि एसएफआई के कार्यकर्ता टैगोर चौक पर जमा थे।
एसएफआई की विवि इकाई के अध्यक्ष नोवल ठाकुर ने आरोप लगाया है कि विवि के वीसी प्रो एडीएन बाजपेयी के इशारे पर एबीवीपी ने यह हमला किया है। नोवल का कहना है कि कल दोपहर बाद उन्होंने वीसी का पुतला जलाया था और उससे बौखलाकर वीसी ने एबीवीपी का इस्तेमाल कर उन पर हमला करवाया है।
उन्होंने कहा कि एसएफआई ने वीसी हटाओ-विवि बचाओ अभियान छेड़ रखा है और उनका यह अभियान जारी रहेगा। उनकी मांग है कि विवि के वीसी को किसी भी सूरत में सेवाविस्तार नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि टैगौर छात्रावास में एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने डाइनिंग हाल पर कब्जा कर लिया था और जैसे ही उनके कार्यकर्ता खाना खाने वहां गए, उन पर हमला कर दिया गया। इस कारण 7 कार्यकर्ता घायल हुए हैं।
उधर, एबीवीपी के राज्य कार्यकारिणी सदस्य अंकित जम्वाल ने कहा कि एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने उनके कार्यकर्ताओं को उकसाया और कल बहस की थी। उनका आरोप था कि रात को टैगोर हॉस्टल में भी इनके कार्यकर्ताओं ने बहस की और उकसाया और उसके बाद ही मामला बिगड़ा और झड़प हो गई।
उन्होंने काह कि एसएफआई हमेशा उनके कार्यकर्ताओं को उकसाती है और अब वीसी के मामले पर उन्हें लपेटने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि एसएफआई का यह आरोप निराधार है कि वीसी के कहने पर ही यह सब हुआ है। उन्होंने कहा कि उनका संगठन भी वीसी के खिलाफ है और उनकी भी यह मांग है कि प्रो एडीएन बाजपेयी को और सेवा विस्तार नहीं मिलना चाहिए और यहां पर नए वीसी की तैनाती होनी चाहिए।
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