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नए संसद भवन में स्थापित होगा सेंगोल, आजादी से जुड़ा है इसका इतिहास
पीएम नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। हालांकि, कई विपक्षी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना की जाएगी। सेंगोल (Sengol) का इतिहास देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawaharlal Nehru) से जुड़ा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया नए संसद भवन में एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी। इसी परंपरा को सेंगोल कहा जाता है, ये युगों से जुड़ी परंपरा है, जिसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है।
क्या होता है सेंगोल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि सेंगोल का अर्थ संपदा से संपन्न होता है। उन्होंने बताया कि संसद भवन में जिस सेंगोल की स्थापना होगी उसके शीर्ष पर नंदी विराजमान हैं।
यहां किया जाएगा स्थापित
अमित शाह (Amit Shah) ने बताया कि नए संसद भवन में सेंगोल को स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन के अलावा कोई और उपयुक्त और पवित्र स्थान हो ही नहीं सकता है। उन्होंने बताया कि नए संसद भवन के उद्घाटन के समय तमिलनाडु से आए विद्वान पीएम मोदी को सेंगोल देंगे और इसके बाद इसे संसद में लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा।
Briefing the press on a very important and historical event celebrating Azadi Ka Amrit Mahotsav. Watch Live! https://t.co/Xl0J8H9r5R
— Amit Shah (@AmitShah) May 24, 2023
आजादी से जुड़ा इतिहास
शाह ने बताया कि सेंगोल का इतिहास काफी पुराना है। उन्होंने बताया कि अब से पहले सेंगोल इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा गया था, जहां इसे रखना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि आजाद भारत में सेंगोल का बड़ा महत्व है। यह अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है और अब यह आजादी के अमृत काल का प्रतिबिंब होगा।
नेहरू ने किया स्वीकार
शाह ने बताया कि 1947 में जब लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए तब नेहरू ने इसके लिए सी राजगोपालाचारी से मशवरा मांगा तो उन्होंने सेंगोल प्रक्रिया के बारे में बताया। इसके बाद सेंगोल को चिन्हित किया गया और फिर सेंगोल को तमिलनाडु से मंगवाया गया। इसके बाद पंडित नेहरू ने सत्ता हस्तांतरण के लिए अंग्रेजों से सेंगोल (राजदंड) को स्वीकार किया।
इतिहास में निभाई अहम भूमिका
शाह ने कहा कि 14 अगस्त, 1947 में एक अनोखी घटना हुई थी और इसके 75 साल बाद भी आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि सेंगोल (राजदंड) ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने बताया कि जब सेंगोल की जानकारी पीएम मोदी को मिली तो इसकी गहन जांच करवाई गई और फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। फिर इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया।
चोला साम्राज्य से जुड़ा इतिहास
अमित शाह ने बताया कि सेंगोल का इतिहास चोला साम्राज्य से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात ये हैं कि जिसे सेंगोल मिलता है, उससे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन की उम्मीद की जाती है। उन्होंने बताया कि सेंगोल राजदंड औपचारिक अवसरों पर सम्राट द्वारा लाया जाता था। इस उपयोग उनके अधिकार को दर्शाने के लिए किया जाता था।
संस्कृत में इसका अर्थ
बता दें सेंगोल शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से संकु शब्द से हुई है, जिसका अर्थ शंख है और हिंदू धर्म में शंख को बहुत पवित्र माना जाता है।
विपक्षी दलों ने किया बहिष्कार
बता दें कि 19 विपक्ष दलों ने संयुक्त बयान जारी कर नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि हमें नए संसद भवन के उद्घाटन का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा लोगों को सोचने और प्रतिक्रिया करने दें जैसे वे चाहते हैं।
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