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#Congress के वरिष्ठ नेता मोती लाल वोरा नहीं रहे, #PM_Modi-राहुल गांधी सहित अन्य ने जताया शोक
Last Updated on December 21, 2020 by
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व गांधी परिवार के करीबी मोती लाल वोरा (Moti Lal Vora) का निधन हो गया है। वे 93 वर्ष के थे। स्वास्थ्य खराब होने के काण उन्हें गत रात एस्कार्ट अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वोरा दो बार मध्यप्रदेश के सीएम रहे और 2000 से 2018 तक (18 साल) पार्टी के कोषाध्यक्ष भी रहे थे। वर्ष 2018 में बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने मोतीलाल वोरा से कोषाध्याक्ष की जिम्मेदारी लेते हुए अहमद पटेल को दी थी। मोतीलाल वोरा ने अपने राजनीतिक जीवन में कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली थी। वोरा ने कल (20 दिसंबर) ही अपना 93वां जन्मदिन भी मनाया था। पीएम नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा कई नेताओं ने वोरा के निधन पर शोक जताया है।
Shri Motilal Vora Ji was among the senior-most Congress leaders, who had vast administrative and organisational experience in a political career that spanned decades. Saddened by his demise. Condolences to his family and well-wishers. Om Shanti: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) December 21, 2020
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सोशल मीडिया पर मोती लाल वोरा के निधन पर शोक जताते हुए पोस्ट में लिखा कि वोरा जी सच्चे कांग्रेसी और जबर्दस्त इंसान थे। उनकी कमी बहुत खलेगी। उनके परिवार से साथ मेरी संवेदनाएं हैं।
Vora ji was a true congressman and a wonderful human being. We will miss him very much.
My love & condolences to his family and friends. pic.twitter.com/MvBBGGJV27
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 21, 2020
बता दें कि बीते दिनों मोतीलाल वोरा और उनकी पत्नी शांति देवी वोरा कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद दोनों को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। मोतीलाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1928 को राजस्थान के नागौर में पड़ने वाले निंबी जोधा में हुआ था। कालांतर में उनका परिवार मध्यप्रदेश आ गया। इसके बाद मोतीलाल वोरा की पढ़ाई रायपुर और कोलकाता में हुई है। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे पत्रकारिता में आ गए थे, लेकिन इस पेशे में वे ज्यादा दिन नहीं टिक पाए और उन्होंने राजनीति में आना ठीक नहीं समझा। मोतीलाल प्रजा समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और 1968 में दुर्ग से पार्षद चुनाव लड़े। उनकी पार्षदी सही चल रही थी, क्षेत्र में एक्टिव भी थे।