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कुल्लू। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लोग देश के कोने-कोने में केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। CAA को लेकर विपक्षी पार्टियों के साथ छात्र संगठन भी विरोध में भूमिका निभा रहे हैं। एसएफआई भी इस कानून के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है। अखिल भारतीय एसएफआई के सह-सचिव दिनेश देंटा ने कहा कि केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन को लेकर जो बिल पास किया है वह गैर संवैधानिक है। इसमें हिंदुस्तान के संविधान (Constitution) की आत्मा पर हमला किया गया है। उन्होंने कहा कि आसाम का उदाहरण हमारे सामने है जहां पर एनएससी हुआ है और इसमें मुस्लिम समुदाय के लोग पताड़ित हैं। जिनके पास कागज नहीं है वह इस कानून के कारण सिटीजनशिप से बाहर हो जाएंगे। आने वाले समय में इस कानून के तहत देश में खतरा पैदा हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस पर यूएन के अंदर और यूरोपियन यूनियन के अंदर इस कानून पर चर्चा होने जा रही है और उन लोगों का कहना है कि आने वाले समय में इस कानून के तहत बहुत सारे लोग स्टेट की कैटगिरी से बाहर होंगे। केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) में बदलाव कर पूरी दुनिया के अंदर हिंदुस्तान की छवि को खराब करने की कोशिश की है। इसमें पूरे देश और दुनिया सामने बहुत बड़ी विडंबना है। उन्होंने मोदी सरकार पर तानाशाही करने का आरोप लगाया और देश के कोने-कोने में इतना ज्यादा विरोध होने के बाद भी इस कानून को लेकर सरकार बात करने को तैयार नहीं है। यह सरकार की तानाशाही है और यह लोकतंत्र के खिलाफ है। संघियों का संघ तंत्र चल रहा है जिसके खिलाफ पूरे देश के अंदर एसएफआई (SFI) की लड़ाई चल रही है।
उन्होंने कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है जहां पर इस देश का संविधान बेसिक स्ट्रक्चर है जिसमें फेरबदल करना उचित नहीं है। जिन लोगों को अपनी नागरिकता का प्रूफ देना था उन्होंने आजादी के समय ही अपना प्रूफ दिया था और उस समय लोगों ने इस्लामिक कंट्री के साथ ना जाने का निर्णय लिया था। देश में आज कई धर्मों के लोग अपनी आजादी के साथ जीवन यापन कर रहे हैं। इस कानून के आने वाले समय में घातक परिणाम सामने आएंगे।
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